वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने आज कहा कि सरकार ने कर विभाग द्वारा अदालतों और न्यायाधिकरणों में अपील दायर करने के मामले में मौद्रिक सीमा बढ़ाने का निर्णय किया है। इससे कानूनी वाद-विवाद में फंसी कर राशि 5,600 करोड़ रुपये घट जायेगी।
इसके तहत अब न्यूनतम 20 लाख रुपये अथवा इससे अधिक के कर विवादों को ही अपीलीय न्यायाधिकरणों में ले जाया जा सकता है।
गोयल ने कहा कि मार्च 2017 तक के आंकड़ों के अनुसार उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालयों और विभिन्न न्यायाधिकरणों में कानूनी विवादों में कुल 7.6 लाख करोड़ रुपये की कर राशि फंसी है।
सरकार ने कल कर विवादों को कम करने के लिये ऐसी कर राशि की सीमा बढ़ा दी जिन्हें विभिन्न मंचों पर चुनौती दी जा सके। पहले की स्थिति के मुताबिक कर विभाग उच्चतम न्यायालय में 25 लाख रुपये से अधिक राशि के मामलों को ही ले जा सकता था जिसे अब बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दिया गया है। यानी कर विभाग उन्हीं मामलों को उच्चतम न्यायालय में ले जा सकेगा जिनमें कर मांग राशि एक करोड़ रुपये अथवा इससे अधिक होगी।
इसी प्रकार उच्च न्यायालय के मामले में यह राशि 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दी गई है। आयकर अपीलीय अधिकरणों और सीमाशुल्क, उत्पाद शुल्क एवं सेवाकर अपीलीय न्यायाधिकरणों के मामले में इस राशि को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये किया गया है।
गोयल ने कहा कि इस सीमा को बढ़ाए जाने से केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमाशुल्क बोर्ड में कानूनी वादों की संख्या में क्रमश: 41% और 18% कमी आएगी। इसके चलते कुल 29,580 मामले खत्म हो जाएंगे और कर विवादों की संख्या 37% तक घट जाएगी।
वित्त मंत्री ने पत्रकारों से कहा कि इससे प्रत्यक्ष कर बोर्ड की राजस्व वसूली पर 4,800 करोड़ रुपये और अप्रत्यक्ष कर बोर्ड की वसूली पर 800 करोड़ रुपये तक का फर्क पड़ेगा।
गोयल ने कहा कि इससे लोगों का कर प्रणाली में विश्वास बढ़ेगा। वहीं ईमानदार, छोटे और मध्यम दर्जे के कर दाताओं को राहत मिलेगी। उन्होंने इसे कारोबार सुगमता की दिशा में बढ़ाया गया कदम बताया।
इस सीमा को बढ़ाए जाने का लाभ यह होगा कि आयकर अपीलीय अधिकरण में दाखिल 34% कर मामले खत्म हो जाएंगे। जबकि उच्च न्यायालय में दाखिल 48% और उच्चतम न्यायालय में 54% मामले खत्म हो जाएंगे।
गोयल ने कहा कि कई बार देखा गया है कि कर वसूली की राशि से ज्यादा वाद की लागत हो जाती है, ऐसे में इस कदम से इसे कम करने में मदद मिलेगी साथ ही यह कर दाताओं को भी राहत देगा। उन्होंने कहा कि हालांकि यह उन मामलों को वापस नहीं लिया जाएगा जहां कोई महत्वपूर्ण कानूनी मुद्दा शामिल होगा।