नई दिल्ली : नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री नोरिएल रुबिनी ने कहा कि भारत को 8-9 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने के लिये और सुधारों की जरूरत है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम में उछाल के खतरों के प्रति भी आगाह किया। उन्होंने कहा कितेल के दाम ज्यादा ऊुंचे हुए तो मुद्रास्फीति के साथ-साथ व्यापार एवं राजकोषीय संतुलन कीसमस्या उत्पन्न हो सकती है। रुबिनीने यहां आर्थिक सम्मेलन ‘इंडिया एकोनामिक कानक्लेव’ में कहा कि भारत के बारे में मेरी राय है कि देश का भविष्य उज्ज्वल है, भारत को 8 से 9 प्रतिशत वार्षिक की आर्थिक वृद्धि हासिल करने के लिये और आर्थिक सुधार करने चाहिए तथा और वृहत आर्थिक स्थिरता के प्रबंध करने चाहिए।
चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो 2016-17 के 7.1 प्रतिशत थी। पहली अप्रैल से शुरू होने जा रहे वित्त वर्ष 2018-19 के लिये वृद्धि दर 7 से 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। तेल कीमतें अंतर्रार्ष्टीय बाजार में 70 डालर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच गयी है। इस बारे में रुबीन का मत है कि यह ‘अस्थायी स्थिति’ है औरवैश्विक तथा राजनीतिक कारणों से तेल के दाम बढ़े हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि भारत तेल आयात पर काफी निर्भर है।
इससे विनिर्माण क्षेत्र की महंगाई दर पर अल्पकाल में असर पड़ सकता है। अर्थशास्त्राी ने कहा कि अगर आपूर्ति संबंधी कुछ जोखिम उत्पन्न होते हैं तो अल्पकाल में तेल कीमतें कुछ ऊंची हो सकती है। हालांकि मध्यम एवं दीर्घकाल में तेल कीमतों में नीचे जाने का सिद्धांत मेरे हिसाब से सही है।
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