नई दिल्ली : भारत को 2018-19 में क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) वार्ता में शामिल 16 सदस्य देशों में से चीन, दक्षिण कोरिया तथा आस्ट्रेलिया सहित 11 के साथ व्यापार घाटे की स्थिति है। आरसीईपी वार्ता समूह में आसियान समूह के 10 देश (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमा, सिंगापुर, थाईलैंड, फिलीपीन, लाओस तथा वियतनाम) तथा उसके छह एफटीए भागीदार..भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं। इनके बीच नवंबर 2012 से वृहत व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है।
अस्थायी व्यापार आंकड़े के अनुसार 2018-19 में इससे पूर्व वित्त वर्ष के मुकाबले भारत का व्यापार घाटा तीन देशों…ब्रुनेई, जापान और मलेशिया..के साथ मामूली रूप से बढ़ा है। ब्रुनेई, जापान और मलेशिया के साथ व्यापार घाटा पिछले वित्त वर्ष में बढ़कर क्रमश: 0.5 अरब डालर, 7.1 अरब डालर तथा 3.8 अरब डालर रहा। इससे पूर्व वित्त वर्ष 2017-18 में यह क्रमश: 0.4 अरब डालर, 6.2 अरब डालर तथा 3.3 अरब डालर था।
हालांकि आस्ट्रेलिया, चीन, इंडोनेशिया, कोरिया, न्यूजीलैंड और थाईलैंड के साथ घाटा 2018-19 में इससे पूर्व वित्त वर्ष के मुकाबले कम हुआ है। आस्ट्रेलिया, चीन, इंडोनेशिया, कोरिया, न्यूजीलैंड तथा थाईलैंड के साथ 2018-19 में व्यापार घाटा कम होकर क्रमश: 8.9 अरब डालर, 50.2 अरब डालर, 10.1 अरब डालर, 11 अरब डालर, 0.2 अरब डालर तथा 2.7 अरब डालर रहा। इससे पूर्व वित्त वर्ष 2017-18 में यह क्रमश: 10 अरब डालर, 63 अरब डालर, 12.5 अरब डालर, 11.9 अरब डालर, 0.3 अरब डालर तथा 3.5 अरब डालर था।
दिलचस्प यह है कि सिंगापुर के साथ 2017-18 में व्यापार अधिशेष (2.7 अरब डालर) था जो 2018-19 में घटकर 5.3 अरब डालर पर आ गया। वहीं आलोच्य वित्त वर्ष में कंबोडिया (0.1 अरब डालर), म्यांमा (0.7 अरब डालर) तथा फिलीपीन (एक अरब डालर) के साथ भारत की व्यापार अधिशेष की स्थिति रही। भारत ने पिछले वित्त वर्ष में लाओस के साथ व्यापार नहीं किया। इस बारे में विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है। उद्योग से जुड़े एक विशेषज्ञ ने कहा कि यह व्यापक व्यापार समझौता है, ऐसे में भारत के लिये न केवल वस्तुओं में बल्कि सेवाओं के मामले में भी अन्य देशों में बेहतर बाजार पहुंच होगी।
वहीं दूसरी तरफ कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को समझौता करते समय सतर्क रहने की जरूरत है। आरसीईपी सदस्य देशों में कई के साथ व्यापार घाटा बढ़ने से घरेलू विनिर्माताओं पर असर पड़ेगा। आरसीईपी पर बातचीत नवंबर 2012 में कम्बोडिया के नोम पेन्ह में शुरू हुई। इसमें वस्तुओं के साथ सेवाओं, निवेश, आर्थिक तथा तकनीकी सहयोग, प्रतिस्पर्धा तथा बौद्धिक संपदा अधिकार शामिल होगा। भारत का आसियान, जापान तथा दक्षिण कोरिया के साथ मुक्त व्यापार समझौता है। इसके अलावा आस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैंड के साथ भी बातचीत जारी है। पर चीन के साथ ऐसी कोई योजना नहीं है।