Wholesale Inflation : नवंबर महीने में खुदरा महंगाई की दर 5.5 फीसदी और थोक महंगाई की दर 0.26 फीसदी रही। इससे पहले खुदरा महंगाई अक्टूबर में 4.87 फीसदी और थोक महंगाई अक्टूबर में शून्य से 0.52 फीसदी नीचे थी। खुदरा महंगाई में वृद्धि का कारण खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि है। नवंबर में खाद्य पदार्थों की महंगाई 6.92 फीसदी रही, जो अक्टूबर में 6.57 फीसदी थी। सब्जियों की कीमतों में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई है। नवंबर में सब्जियों की महंगाई 22.26 फीसदी रही, जो अक्टूबर में 18.96 फीसदी थी।
थोक महंगाई में वृद्धि का कारण कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि है। नवंबर में कच्चे माल की महंगाई 1.34 फीसदी रही, जो अक्टूबर में 0.46 फीसदी थी। पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई है। नवंबर में पेट्रोलियम उत्पादों की महंगाई 12.44 फीसदी रही, जो अक्टूबर में 10.33 फीसदी थी। खुदरा और थोक महंगाई में वृद्धि से आम आदमी की जेब पर बोझ बढ़ेगा। लोगों को खाने-पीने, परिवहन, कपड़े आदि के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे।
नवंबर महीने में खुदरा और थोक महंगाई दोनों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। खुदरा महंगाई 5.5 फीसदी और थोक महंगाई 0.26 फीसदी रही है। खुदरा महंगाई में बढ़ोतरी का मुख्य कारण खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी है। अक्टूबर में खुदरा महंगाई 4.87 फीसदी थी, जो नवंबर में बढ़कर 5.5 फीसदी पर पहुंच गई है। थोक महंगाई में बढ़ोतरी का मुख्य कारण कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी है। अक्टूबर में थोक महंगाई शून्य से 0.52 फीसदी नीचे थी, जो नवंबर में बढ़कर 0.26 फीसदी पर पहुंच गई है। इस बढ़ोतरी से आम लोगों की जेब पर असर पड़ेगा। सरकार ने महंगाई को कम करने के लिए कई उपाय किए हैं, लेकिन अभी तक कोई खास असर नहीं दिख रहा है। सरकार को महंगाई को कम करने के लिए और कड़े कदम उठाने की जरूरत है।
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