नई दिल्ली : भारत ने सोमवार को कहा कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की विवाद सुलझाने की प्रणाली के अपीलीय निकाय के ठप्प होने तथा डब्ल्यूटीओ में सुधार के लिए कुछ विकसित देशों के असंतुलन पैदा करने वाले एजेंडा से विकासशील देशों का हित प्रभावित हो सकता है। भारत ने डब्ल्यूटीओ के 22 सदस्य देशों के वरिष्ठ अधिकारियों की यहां हुई बैठक में यह मुद्दा उठाया। गौरतलब है कि अमेरिका ने इसके सदस्यों की नियुक्ति में अड़ंगा लगाया हुआ है। निकाय के कार्य करने के लिये कम से कम तीन सदस्य होने अनिवार्य हैं और 10 दिसंबर के बाद यह स्थिति भी नहीं रहेगी। इससे 10 दिसंबर के बाद निकाय की कार्यप्रणाली ठप्प हो जाएगी।
वाणिज्य सचिव अनूप वधावन ने उद्घाटन सत्र में कहा कि कुछ देशों द्वारा एकपक्षीय कदम उठाने तथा जवाबी कार्रवाइयों के कारण बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था के समक्ष अस्तित्व की चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि व्यापार वार्ताओं के अटकने तथा डब्यूटीओ अपीलीय मंच के सदस्यासें की नियुक्तियों में गतिरोध से चुनौतियां खड़ी हो गयी हैं। एक आधिकारिक बयान में वधावन के हवाले से कहा गया कि अपीलीय निकाय का ठप्प हो जाना डब्ल्यूटीओ की विवाद सुलझाने की व्यवस्था तथा इसकी क्रियान्वयन प्रणाली के लिये गंभीर जोखिम है। उन्होंने कहा कि व्यापार में संरक्षणवादी उपायों के बढ़ने से वैश्विक आर्थिक वातावरण बिगड़ रहा है और यह स्थिति सबसे अल्प विकसित देशों समेत सभी विकासशील देशों के लिये ठीक नहीं है।
वधावन ने कहा कि डब्ल्यूटीओ के अपीलीय निकाय के सदस्यों की नियुक्ति के ऊपर गतिरोध से भारत जैसे विकासशील देश और सबसे कम विकसित देशों को अधिक नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रणाली को बचाए रखने के लिये रचनात्मक तरीके से आगे बढ़ने तथा समस्या का रचनात्मक समाधान लाने की तत्काल जरूरत है। वधावन ने कहा कि डब्ल्यूटीओ की स्थिति से इस संगठन में सुधार की बातचीत जोर पकड़ रही है लेकिन दुर्भाग्य से इसमें संतुलन का पूरा अभाव है।