अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने देश में जारी आर्थिक सुस्ती से निपटने के लिए सरकार द्वारा हाल में उठाये गये कदमों की तारीफ करते हुये कहा है कि भारत के लिए वित्तीय घाटे को नियंत्रण में रखना और बैंकों के बैलेंसशीट को साफ-सुथरा बनाना जरूरी है। भारतीय मूल की श्रीमती गोपीनाथ ने मंगलवार को आईएमएफ का वैश्विक आर्थिक परिदृश्य जारी करने के बाद संवाददाताओं के प्रश्न के उत्तर में यह बात कही।
जब उनसे बैंकिंग सेक्टर के संकट और देश की वित्तीय स्थिति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा ‘‘वित्तीय मोर्चे पर भारत ने हाल में कुछ कदम उठाये हैं जिनमें कंपनी कर में काटौती भी शामिल है। अभी यह नहीं बताया गया है कि इससे राजस्व पर क्या प्रभाव पड़गा। भारत के लिए वित्तीय घाटे को नियंत्रण में रखना महत्त्वपूर्ण होगा।’’ उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष के पहले पाँच महीने यानी अप्रैल-अगस्त 2019 की अवधि में देश का वित्तीय घाटा 5.54 लाख करोड़ रुपये पर पहुँच गया है जो बजट अनुमान का 78.7 प्रतिशत है।
श्रीमती गोपीनाथ ने कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र में जारी वित्तीय संकट और इसके कारण आम उपभोक्ता तथा छोटे एवं मझौले उद्योग द्वारा ऋण उठाव प्रभावित होने से भारत की विकास की रफ्तार पर असर पड़ है। सरकार ने इनसे निपटने के समुचित उपाय किये हैं। उन्होंने कहा ‘‘बैंकों के बैलेंसशीट को साफ-सुथरा करने समेत बहुत कुछ अब भी किया जाना बाकी है। इसलिए हमने वर्ष 2020 में भारत की विकास दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान जारी किया है। उम्मीद है कि सरकार अर्थव्यवस्था के अवरोधों को दूर करने में सफल होगी।’’
आईएमएफ के अनुसंधान विभाग के उप निदेशक मिलेसी-फेरेटी ने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था से तुलना करें तो भारत की विकास दर अब भी काफी अच्छी है, हालाँकि हम जिस स्तर के अभ्यस्त थे उससे यह कम हुई है। इतनी बड़ आबादी वाले देश की छह प्रतिशत से ज्यादा की विकास दर निस्संदेह काबिले गौर है।