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आईटी अधिकारी रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने वालों की ‘टैक्स कुंडली’ खंगालेंगे

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नोटबंदी की घोषणा के बाद हजारों लोगों ने अपने छिपाए हुए पैसे को बैंकों में जमा करना शुरू कर दिया। सरकार की सख्ती के बाद ज्यादातर लोगों ने रिवाइज्ड इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किया और जमा किए गए एक्स्ट्रा पैसे के लिए 30 पर्सेंट टैक्स जमा कर दिया। ऐसा करने वाले लोगों को लगा होगा कि ऐसा करने से वे साफ भी साबित हो जाएंगे और टैक्स अधिकारियों की नजर में भी नहीं आएंगे। लेकिन टैक्स अधिकारियों ने ऐसे लोगों के वित्तीय लेन-देन की जांच शुरू कर दी है, जिन्होंने रिवाइज्ड इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किया है।

शुक्रवार को सरकार ने सभी टैक्स अधिकारियों को निर्देश दिया है कि  सिर्फ उन्हीं रिवाइज्ड टैक्स रिटर्न को स्वीकार किया जाए ‘जहां टैक्सपेयर्स ने भूलवश कोई चूक हुई है’। यदि जांच में इस बात पर जरा भी शक हो कि करदाता ने अपनी छिपाई हुई रकम को वैध करने की कोशिश की है तो उनके खिलाफ सघनता से जांच की जाए।

इनकम टैक्स ऐक्ट के मुताबिक, कोई भी करदाता तभी रिवाइज्ड इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकता है, जब उसने भूलवश कोई गलत स्टेटमेंट दिया हो। कानून में रिवाइज्ड टैक्स रिटर्न फाइल करने का कोई निश्चित कारण न दिया हो। एक सीनियर चार्टेड अकाउंटेंट दिलीप लखानी ने बताया, ‘कोई भी करदाता आईटी ऐक्ट के सेक्शन 139(5) के तहत रिवाइज्ड इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकता है। कोई भी करदाता बहुत से कारणों से ऐसा कर सकता है, इसमें टैक्स छिपाना भी एक कारण हो सकता है। सुझाव है कि ऐसा सिर्फ भूलवश कोई गलत जानकारी देने की स्थिति में ही हो सकता है।’ लखानी ने बताया, ‘बैंक में ज्यादातर बड़ी रकम वाले नोट जमा किए गए। अब नोटबंदी की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि टैक्स अधिकारी उसमें से बगैर टैक्स जमा कराई गई रकम को चिह्नित कर सकें।’

सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (सीबीडीटी) के डायरेक्टर रोहित गर्ग की तरफ से सभी प्रमुख चीफ आईटी कमीश्नरों को ईमेल कर कहा गया है कि वे सभी टैक्स अधिकारियों को रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने वाले टैक्स पेयर्स की सघनता से जांच करें।

इन बातों का ख्याल रखें जांच करते समय :

1) पहली रिटर्न के आंकड़े के मुकाबले संशोधित रिटर्न में बताए गए स्टॉक में असंतुलन।
2) रिवाइज्ड रिटर्न में ज्यादा सेल।
3) मार्च 2016 और मार्च 2015 के मुकाबले ज्यादा ज्यादा कैश का दिखाना।
4) कम देनदारियों के लिए नकदी का इस्तेमाल।
5) मार्च 2016 और मार्च 2015 के मुकाबले कम क्लॉजिंग स्टॉक।

यदि टैक्स अधिकारी इन आधारों पर जांच करेगा तो उसे रिटर्न की जांच करने के कई और रास्ते भी मिल जाएंगे। जैसे, वे ज्यादा सेल की तुलना सेंट्रल एक्साइज/वैट रिटर्न से कर सकते हैं। कुछ भी संदिग्ध दिखने पर करदाता के पुराने आंकड़े देखे जाएं।

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