नई दिल्ली : भारत को 2020 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में पांच प्रतिशत वृद्धि दर हासिल करने के लिए ‘काफी मेहनत’ करनी पड़ सकती है। प्रसिद्ध अमेरिकी अर्थशास्त्री स्टीव हंके ने यह राय व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि पिछली कुछ तिमाहियों में आर्थिक वृद्धि दर में काफी गिरावट आई है।
इसकी प्रमुख वजह ऋण में कमी आना है जो चक्रीय समस्या है। हंके फिलहाल जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी (यूएसए) में एप्लायड इकोनॉमिक्स पढ़ाते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत में ऋण की काफी तेज वृद्धि देखने को मिली, लेकिन आज स्थिति यह है कि गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) बढ़ रही हैं। विशेषरूप से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का डूबा कर्ज बढ़ रहा है।
हंके ने साक्षात्कार में कहा कि भारत में सुस्ती की वजह ऋण संकुचन है, जो एक चक्रीय समस्या है। यह संरचनात्मक समस्या नहीं है। ऐसे में भारत को 2020 में पांच प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है।
हंके ने इसके साथ कहा कि भारत पहले से काफी अधिक संरक्षणवाद से घिरा हुआ है। भारत को अभी तक दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था गिना जा रहा था। चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर घटकर 4.5 प्रतिशत रह गई है।