नई दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि सार्वजनिक विथ प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के अनिवार्य इस्तेमाल से विभिन्न सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों को धन के प्रवाह की बेहतर निगरानी में मदद मिलेगी। वित्त मंत्री आज यहां सभी केंद्रीय क्षेत्र योजनाओं (सीएसएस) के लिए पीएफएमएस के अनिवार्य इस्तेमाल की शुरुआत के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इन योजनाओं के लिए बजटीय प्रावधान 6,66,644 करोड़ रुपये है।
जेटली ने कहा कि तत्काल आधार पर सूचना उपलब्ध कराने की क्षमता के साथ वेब आधारित साफ्टवेयर एप में कार्यक्रम-विथीय प्रबंधन में सुधार लाने की बड़ क्षमता है। इससे विथीय प्रणाली में समय पर सूचना के आधार पर विथीय प्रणाली में अस्थिरता को दूर किया जा सकेगा। साथ ही इससे सरकारी ऋण में भी सुधार हो सकेगा और ब्याज लागत पर सीधा असर होगा। विथ मंत्री ने कहा कि पीएफएमएस के जरिये क्रियान्वयन एजेंसियों को कोष के प्रवाह की निगरानी में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि कोष की निगरानी से यह पता लगाया जा सकेगा कि केंद, और राज्य सरकारों की क्रियान्वयन एजेंसियों द्वारा कोष के इस्तेमाल की वास्तविक स्थिति क्या है। उन्होंने कहा कि किसी योजना के क्रियान्वयन का अंतिम उद्देश्य यह होता है कि उसका लाभ आखिरी छोर तक पहुंच सके।
वित्त मंत्रालय और अन्य मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित करते हुए जेटली ने प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के जरिये विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के बारे में भी बताया। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द पीएफएमएस सरकारी स्तर पर एकीकृत विथ प्रबंधन प्रणाली की ओर वृहद भुगतान, प्राप्ति और लेखा प्रणाली के रूप में बढ़गा। विथ सचिव अशोक लवासा ने कहा कि पीएफएमएस के तहत 13 केंद्रीय क्षेत्र योजनाओं ने पिछले दो साल में काफी रफ्तार पकड़ है। जहां तक पीएफएमएस की स्वीकार्यता की बात है, सभी राज्यों की इस बारे में केंद, के साथ सहमति है।