नई दिल्ली : कर्ज में फंसी जेपी इंफ्राटेक के कर्जदाताओं ने एनबीबीसी लिमिटेड से बिना किसी विवाद के स्पष्ट मालिकाना हक वाली कुछ और जमीन देने तथा ऋण-मुक्त यमुना एक्सप्रेस के हस्तांतरण की पेशकश करने को कहा है। जबकि घर खरीदारों ने फ्लैट निर्माण में हुई देरी के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं। सूत्रों ने यह बात कही। दिवाला प्रक्रिया से गुजर रही जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण की दौड़ में सार्वजनिक क्षेत्र की एनबीसीसी और सुरक्षा रीयल्टी हैं।
शीर्ष न्यायालय के निर्देश के मुताबिक, दोनों कंपनियों ने 17 नवंबर को नई बोलियां जमा की हैं। दोनों दावेदारों से बातचीत के लिए कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) की एक बैठक यहां आयोजित हुई। एनबीसीसी की समाधान योजना पर कई स्पष्टीकरण मांगे और कंपनी से अपनी बोली को आकर्षक बनाने को कहा है। बैंकों का कंपनी पर करीब 9,800 करोड़ रुपये का बकाया है।
इसके निपटान के लिए एनबीसीसी ने 5,000 करोड़ रुपये की 1,426 एकड़ जमीन देने की पेशकश की है। इसके अलावा कंपनी ने जेपी इंफ्राटेक को हस्तांतरित की जाने वाली 858 एकड़ भूमि में से भी 75 प्रतिशत बैंकरों को देने की पेशकश की है। एनबीसीसी बैंकों को बेनामी फ्लैटों की बिक्री से प्राप्त राशि का 50 प्रतिशत हिस्सा देने को भी तैयार है।
यमुना एक्सप्रेस-वे को भी कर्जदाताओं को हस्तांतरित किया जाएगा लेकिन इससे पहले एनबीसीसी का एक्सप्रेसवे के एवज में 2,500 करोड़ रुपये का कर्ज लेने का प्रस्ताव है। इससे अगले चार सालों में 20,000 से ज्यादा फ्लैटों के निर्माण को पूरा किया जाएगा। बैंकों ने एनबीसीसी को विवादरहित मालिकाना हक वाली और जमीन देने तथा बेनामी फ्लैट तथा गिरवी जमीन देने की अपनी पेशकश वापस लेने को कहा है।