यस बैंक को लेकर राजनीति तेज हो गई है। RBI की पाबंदी झेल रही यस बैंक के संकट पर देश के पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम का बड़ा बयान सामने आया है। शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चिदंबरम ने सरकार केंद्र की मोदी सरकार से कई सवाल किये।
चिदंबरम ने कहा कि वर्ष 2017 से सरकार यस बैंक की निगरानी कर रही है, इसके बावजूद बैड लोन बढ़ता चला गया। चिदंबरम ने आंकड़े पेश करते हुए बताया कि वर्ष 2014 में यस बैंक का 55,633 करोड़ रुपये का आउटस्टैंडिंग लोन था, जो वर्ष 2019 में बढ़कर 2,41,499 करोड़ रुपये हो गया है। माने पांच सालों में बैंक का आउटस्टैंडिंग लोन चार गुना बढ़ गया है।
साथ ही यस बैंक को बचाने के लिए भारतीय स्टेट बैंक द्वारा निवेश करने की योजना को चिदंबरम ने बेतुका बताया। उन्होंने कहा कि जब यस बैंक के CEO को बदला गया था तब कुछ क्यों नहीं बदला गया, जबकि यस बैंक के तिमाही नतीजे भी घटते जा रहे थे। चिदंबरम का कहना है कि यस बैंक को बचाने के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और एलआईसी पर दबाव बनाया जा रहा है। एसबीआई और एलआईसी को मजबूर किया जा रहा है।
चिदंबरम ने कहा कि जिस बैंक का कुल मूल्य जीरो है, उसे 10 रुपए प्रति शेयर के भाव खरीदने की SBI की योजना बड़ी अजीब है। मुझे नहीं लगता कि SBI अपनी इच्छा से यस बैंक को बचाने के अभियान में आया है।
ज्ञात हो कि भारी संकट से झूझ रही यस बैंक को बचाने के लिए एसबीआई 49 फीसदी शेयर खरीदने की तैयारी कर रहा है। एसबीआई चेयरमैन रजनीश कुमार के अनुसार एसबीआई फिलहाल, यस बैंक में 2450 करोड़ रुपये निवेश करेगी। साथ ही कुमार ने कहा कि एसबीआई में जो लोग निवेश करना चाहते हैं उनके लिए ये एक मौका है।
वहीं, चिदंबरम ने सरकार पर निशाना साधते हुए दावा किया कि बीजेपी पिछले छह साल से सत्ता में हैं, वित्तीय संस्थानों को नियंत्रित करने की उनकी क्षमता उजागर होती जा रही है। उन्होंने कहा कि यस बैंक से पहले पीएमसी बैंक। क्या सरकार बिल्कुल भी चिंतित नहीं है?