नई दिल्ली : देश के लॉजिस्टिक्स उद्योग के अगले दो साल में मौजूदा 160 अरब डॉलर की तुलना में बढ़कर 215 अरब डॉलर के हो जाने की संभावना है। आर्थिक समीक्षा में यह बात कही गयी। संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2017-18 में कहा गया है कि माल एवं सेवा कर के क्रियान्वयन से भारत के लॉजिस्टिक्स उद्योग के सालाना 10.5 प्रतिशत की वृद्धि दर से वर्ष 2020 तक 215 अरब डॉलर के हो जाने की संभावना है। उसने कहा कि 2.2 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार मुहैया कराने वाला यह उद्योग पिछले पांच साल में सालाना 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ा है।
समीक्षा में कहा गया कि लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक के सभी छह पैमानों पर भारत का रैंक बेहतर हुआ है। इस क्षेत्र को ढांचागत संरचना का दर्जा मिलने से कई तरह से फायदा होगा। समीक्षा में कहा गया यह क्षेत्र में दीर्घ अवधि तथा व्यावहारिक ब्याज दर वाला ऋण प्रवाह सुनिश्चित करेगा। ढांचागत क्षेत्र का दर्जा मिलने से मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स के निर्माण को मंजूरी की प्रक्रिया आसान होगी। मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स में भंडारण तथा परिवहन की संरचनाएं शामिल होती हैं। इससे नियामकीय प्राधिकरण के जरिये बाजार का भरोसा भी बढ़ेगा तथा ऋणपत्र एवं भविष्यनिधि से निवेश भी आकर्षित होगा। समीक्षा में कहा गया कि देश में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र बड़े स्तर पर असंगठित है। इस क्षेत्र के सामने लॉजिस्टिक्स का अधिक खर्च मुख्य चुनौती है जिससे घरेलू एवं वैश्विक बाजार में इसकी प्रतिस्पर्धिता प्रभावित हो रही है। इसके अलावा सामानों के रख-रखाव की अविकसित संरचना, बिखरे वेयरहाउस और विभिन्न जरियों से सामानों का निर्बाध आवागमन भी चुनौती है।
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