दावाेस : केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि ‘मेक इन इंडिया’ को संरक्षणवाद नहीं करार दिया जा सकता और देश अपनी समृद्धि दुनिया में हर किसी के साथ साझा करना चाहता है। वैश्विक नेताओं के अमेरिका तथा कुछ अन्य देशों द्वारा पेश संरक्षणवाद उपायों को लेकर जतायी गयी चिंता के बीच उन्होंने यह बात कही। विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की सालाना बैठक में भाग लेने आये गोयल ने कहा कि भारत ने विभाजित दुनिया को लेकर मौजूदा चिंता के संदर्भ में स्वयं को विश्व में अग्रणी भूमिका में रखा है।
गोयल ने कहा कि भारत ने हमेशा अपनी समृद्धि दुनिया के अन्य देशों के साथ साझा करने में भरोसा किया है। पुरातनकाल से वसुधैव कुटुम्बकम हमारा सिद्धांत और विचार रहा है। उन्होंने कहा कि अब भी जब हम ‘मेक इन इंडिया’ की बात करते हैं, हम एक मंच की पेशकश कर रहे हैं जहां भारत के पास अन्य देशों की तुलना में तुलनात्मक लाभ है। यह व्यापार करने के लिहाज से आकर्षक स्थल है और बड़ा बाजार है। गोयल ने कहा कि इसीलिए मेक इन इंडिया कार्यक्रम संरक्षणवादी उपाय नहीं है क्योंकि यह दुनिया के लोगों के लिए सबसे अच्छी प्रतिभा, सबसे अच्छी कीमत और सबसे अच्छी प्रौद्योगिकी प्राप्त करने का एक अवसर है।
‘अमेरिका फर्स्ट’ कार्यक्रम के बारे में पूछे जाने पर गोयल ने कहा कि भारत ने कभी ऐसा नहीं किया और वृद्धि तथा समृद्धि साझा करने में भरोसा रखता है। अमेरिकी सरकार द्वारा उसके इस कार्यक्रम के तहत अपने यहां की शीर्ष कंपनियों को नौकरियां और लाभ अमेरिका में लाने को कहा जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम दुनिया में कमाई पर कर नहीं लगाते। पूंजी प्रवाह पर हमारे यहां उस प्रकार का कोई प्रतिबंध नहीं है जो दुनिया के अन्य देशों में देखने को मिलता है। गोयल ने कहा कि उस मामले में हमारी अर्थव्यवस्था काफी उदार है और निवेश के लिहाज से काफी आकर्षक अर्थव्यवस्था है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जर्मनी की चांसलर एजेंला मर्केल समेत दुनिया के कई नेताओं ने विश्व आर्थिक मंच की बैठक में अपने संबोधन में संरक्षणवाद की आलोचना की है।
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