वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि है मौजूदा वैश्विक आर्थिक जोखिमों और असंतुलन से निपटने में सरकारों की अपनी-अपनी पहलों के अलावा बहुपक्षीय स्तर पर पर सहयोग की आवश्यकता बढ़ गयी है। वित्त मंत्री ने आईएमएफ और विश्वबैंक की वार्षिक बैठक 2019 में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा एवं वित्तीय समिति (आईएमएफसी) के पूर्ण अधिवेशन में यह बात कही।
वित्त मंत्रालय के बयान के मुताबिक, सीतारमण ने कहा कि देश अपने स्तर पर नपे-तुले और संतुलित राजकोषीय तथा मौद्रिक उपायों और बुनियादी सुधारों को लागू करें तो उन्हें अपनी संभावनाओं के अनुरूप आर्थिक वृद्धि हासिल करने में मदद मिल सकती है। सीतारमण ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष को आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण देशों से जुड़ी विशिष्ट समस्याओं से निपटने में मदद करने के लिए अलग अलग समाधान पेश करने चाहिए।
वित्त मंत्री ने कहा कि आईएमएफ को ऐसी नीतिगत व्यवस्था विकसित करनी चाहिए जिसके तहत वैश्विक पूंजी के प्रवाह के बदलावों से अर्थव्यवस्थाओं के लिए खतरों का आकलन हो और कमजोर अर्थव्यवस्थाओं की रक्षा के लिए मंजबूत निगरानी तंत्र तथा और अधिक तेज नीतिगत औंजार विकसित किए जाएं।
मुद्राकोष में मताधिकार कोटा की सामान्य समीक्षा के 15वें दौर की वार्ता भारत जैसे देशों के कोटे में वृद्धि के बिना ही खत्म होने के संबंध में उन्होंने कहा कि 16वें दौर की समीक्षा वार्ता पूरी गंभीरता से शुरू किया जाना चाहिए और इसे पूरा करने को एक समय सीमा तय की जानी चाहिए।