मुंबई : उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने दीर्घकालिक ढांचागत परिवर्तन के जरिये कृषि क्षेत्र को मजबूत करने का आह्वान किया है। उनका कहना है कि खेती बाड़ी हमारी मूल संस्कृति है और यह अब भी आबादी के लगभग 60 प्रतिशत लोगों की आजीविका का आधार है। उन्होंने शनिवार को यहां भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के एक कार्यक्रम में कहा कि कृषि को लाभदायक, मजबूत और उतार चढाव को झेलने में सक्षम बनाना होगा।
साथ ही उन्होंने किसानों की आजीविका का आधार मजबूत बनाने के लिए उन्हें अपने प्रयासों का विविधीकरण करने को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और उन्हें मुर्गीपालन, बागवानी और मछली पालन जैसी संबद्ध गतिविधियों में लगाना चाहिए। वेंकैया नायडू ने कहा कि हमें कृषि पर सबसे ज्यादा ध्यान देना चाहिए। जैसा कि आप सभी जानते हैं, यह हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। यह हमारी 60 प्रतिशत आबादी की आजीविका कृषि पर निर्भर है। कृषि हमारे देश की मूल संस्कृति है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की टिप्पणियां कृषि संकट के मद्देनजर महत्वपूर्ण हैं क्यों कि कृषि जिसों की कीमतें घट रही है जबकि खेती की लागत ऊंची है। इससे किसानों पर कर्ज का बोझ बढ़ा है और कई जगह कई किसान आत्महत्या करने को विवश हुए हैं। इस स्थिति का आकलन हालिया राज्य चुनावों के नतीजों से किया जा सकता है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्तारूढ़ भाजपा को हार का सामना करना पड़ा जबकि मतदाताओं ने सत्ता से हटा दिया जहां सैकड़ों की संख्या में किसान आत्महत्या की घटनायें देखने को मिली थीं।
इसके विपरीत तेलंगाना में सत्तारूढ़ टीआरएस को ज्यादा अंतर के साथ पुन: कामयाबी मिली क्यों कि वहां सरकार किसानों को नकद सहायता उपलब्ध करा रही थी। उपराष्ट्रपति ने कहा कि कृषि उत्पादों में मूल्य संवर्धन की आवश्यकता को देखते हुए भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और बागवानी के विस्तार की व्यापक संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि हमें जैविक खेती को अपनाना चाहिए तथा कृषि में लागतों और सिंचाई का विवेकपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना चाहिये।
उन्होंने कहा कि देश को नवाचार को बढ़ावा देने तथा शोध एवं विकास में अधिक समय एवं धन का निवेश करने की ओर बढ़ना चाहिए ताकि आम लोगों की दिन प्रतिदिन की विभिन्न समस्याओं का समाधान निकाला जा सके। उन्होंने कहा, “विज्ञान और प्रौद्योगिकी को कुल मिला कर मानव जीवन में बेहतरी लाना चाहिए। उप-राष्ट्रपति ने युवाओं को कौशल प्रदान करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र को युवाओं के लिए अधिक रोजगार सृजित करने के लिए दक्षता कार्यक्रमों को बढ़ाना चाहिये तथा निजी क्षेत्र को समान अवसर प्रदान करना चाहिये तथा उन्हें महिलाओं के खिलाफ किसी भी रूप या किसी भी स्तर पर भेदभाव नहीं होने देना चाहिये। उन्होंने कहा कि हमारे सभी व्यवसायों का बुनियादी सिद्धांत महिला सशक्तीकरण और लैंगिक समानता होनी चाहिए।