कॉरपोरेट मामलों के सचिव इंजेती श्रीनिवास ने बृहस्पतिवार को कहा कि कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) में चूक को कंपनी कानून के तहत अपराध बनाने का सरकार का कोई इरादा नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि यह अब कोई दरियादिली का काम नहीं रह गया है।
श्रीनिवास ने कहा कि कंपनियों को डरना नहीं चाहिये। सरकार उनके द्वारा अब तक किये गये योगदान की सराहना करती है।
उन्होंने पीटीआई भाषा से एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘जहां तक दंडात्मक कार्रवाई के प्रावधान का सवाल है, कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 134 में पहले से ही इस तरह का दंडात्मक प्रावधान है। अभी कुछ ऐसा नहीं किया गया है जो पहले से मौजूद नहीं है। यह महज मसौदा तैयार करने का मसला है न कि अतिरिक्त दंडात्मक प्रावधान जोड़ने का।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक दंडात्मक कार्रवाई का सवाल है, संशोधन के बाद कुछ नहीं बदला है। इसे बस अब धारा 135 में भी जोड़ दिया गया है।’’
धारा 135 के तहत अब सीएसआर के प्रावधानों का अनुपालन नहीं करने पर 50 हजार रुपये से लेकर 25 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। संशोधित कानून के तहत सीएसआर चूक से संबंधित अधिकारी को तीन साल तक की कैद अथवा पांच लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
श्रीनिवास ने कहा, ‘‘कंपनियों को डरने की जरूरत नहीं है। हम कॉरपोरेट का सम्मान करते हैं। हम उनके द्वारा अब तक किये गये योगदान की सराहना करते हैं। सीएसआर में चूक को आपराधिक बनाने का कोई इरादा नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि इसे लेकर संवादनहीनता जिम्मेदार है अथवा चीजों को गलत तरीके से समझा गया है।
आंकड़ों के अनुसार, 2014-15 से 2017-18 के दौरान कंपनियों ने सीएसआर के तहत 52 हजार करोड़ रुपये से अधिक राशि खर्च की है।
श्रीनिवास ने कहा कि धारा 134 सूचना देने से संबंधित है जबकि धारा 135 परिचालन के बारे में है। पहले जब भी कार्रवाई की जरूरत होती थी, धारा 135 के साथ 134 को अमल में लाना होता था। अब इसे अलग से शक्ति दे दी गयी है। उनके अनुसार, पिछले पांच साल में सरकार ने सीएसआर के कारण पांच हजार से अधिक कारण बताओ नोटिस जारी किया है। उन्होंने कहा कि अब सीएसआर का अनुपालन करने की संस्कृति को बढ़ावा मिल रहा है।