एयर इंडिया का 70 सालों के बाद आख़िरकार इंतजार खत्म हुआ। टाटा संस ने राष्ट्रीय वाहक एयर इंडिया के लिए बोली जीत ली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मंत्रियों के एक पैनल ने एयरलाइन के अधिग्रहण के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।आने वाले दिनों में एक आधिकारिक घोषणा की उम्मीद है।
टाटा ने एयर इंडिया के लिए सबसे ऊंची बोली लगाई
नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार टाटा संस लगाई गयी बोली के लिए सबसे आगे है। सूत्र ने कहा, “टाटा ने एयर इंडिया के लिए सबसे ऊंची बोली लगाई है।” उन्होंने कहा कि विनिवेश रोलआउट पर एक आधिकारिक निर्णय अगले कुछ दिनों में लिया जाएगा। सरकार की योजना दिसंबर तक एयरलाइंस को उसके नए मालिकों को सौंपने की है।
दिवालिया होने के कगार पर पहुंच चुकी सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया
दिवालिया होने के कगार पर पहुंच चुकी सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया को टाटा संस के हवाले करने को मंत्रियों के समूह से मंजूरी मिल गयी है। इस मामले से जुड़े सूत्रों ने कहा कि एयर इंडिया के लिए टाटा संस की बोली को गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के समूह के समक्ष रखा गया था जिसे मंजूरी मिल गयी है। इसके लिए स्पाइस जेट के अजय सिंह ने व्यक्ति स्तर पर बोली लगायी थी। हालांकि अभी इस संबंध में आधिकारिक घोषणा नहीं की गयी है लेकिन एक दो दिनों में इस संबंध में सरकार की आरे से जानकारी दिये जाने की संभावना है।
यह दूसरा मौका है जब सरकार एयर इंडिया में अपनी हिस्सेदारी बेचने की कोशिश कर रही है
एअर इंडिया के लिए टाटा ग्रुप और स्पाइसजेट के अजय सिंह ने बोली लगाई थी। यह दूसरा मौका है जब सरकार एयर इंडिया में अपनी हिस्सेदारी बेचने की कोशिश कर रही है। इससे पहले 2018 में सरकार ने कंपनी में 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की कोशिश की थी लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिला था। वहीं अब सरकारी एयरलाइन एअर इंडिया टाटा समूह के नियंत्रण में जाएगा।
टाटा संस ने सबसे ऊंची बोली लगाया
नागर विमानन के सूत्रों का कहना है कि टाटा संस ने इसके लिए सबसे ऊंची बोली लगाया था। टाटा संस द्वारा इसके लिए सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम बोली से करीब तीन हजार करोड़ रुपये की अधिक बोली लगाये जाने की जानकारी मिली है। वर्ष 1932 में टाटा समूह जे आर डी टाटा ने इस विमानन कंपनी की स्थापना की थी लेकिन बाद में इसे राष्ट्रीयकृत कर दिया गया था। अब करीब 67 वर्षों के बाद फिर से यह विमानन कंपनी टाटा के हवाले होने वाली है। सूत्रों की माने तो दिसंबर तक इस सौदे को अंतिम रूप दिया जा सकता है।
टाटा का राष्ट्रीय वाहक के साथ एक लंबा इतिहास रहा है
टाटा का राष्ट्रीय वाहक के साथ एक लंबा इतिहास रहा है। यह जेआरडी टाटा थे जिन्होंने एयरलाइंस की स्थापना की और पहली उड़ान का संचालन किया जिसने 1932 में भारतीय विमानन का उद्घाटन किया। दरअसल, एयर इंडिया के लिए बोली लगाने की आखिरी तिथि 15 सितंबर थी। इस एयरलाइन के लिए बोली लगाने वाली कंपनियों में टाटा संस भी शामिल थी।
जे आर डी टाटा ने 1932 में टाटा एयर सर्विसेज शुरू की थी
बता दें कि जे आर डी टाटा ने 1932 में टाटा एयर सर्विसेज शुरू की थी, जो बाद में टाटा एयरलाइंस हुई और 29 जुलाई 1946 को यह पब्लिक लिमिटेड कंपनी हो गई थी। 1953 में सरकार ने टाटा एयरलाइंस का अधिग्रहण कर लिया और यह सरकारी कंपनी बन गई। अब एक बार फिर टाटा ग्रुप की टाटा संस ने इस एयरलाइन में दिलचस्पी दिखाई है। अगर इस बात की पुष्टि हो जाती है कि टाटा ने बोली जीत ली है तो करीब 70 साल बाद एक बार फिर एयर इंडिया टाटा ग्रुप के पास आ जाएगी।
केंद्र सरकार सरकारी स्वामित्व वाली एयरलाइन में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचना चाहती है
वहीं केंद्र सरकार सरकारी स्वामित्व वाली एयरलाइन में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचना चाहती है, जिसमें एआई एक्सप्रेस लिमिटेड में एयर इंडिया की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी और एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी शामिल हैं।