नई दिल्ली : देश का प्याज निर्यात इस साल अप्रैल-जुलाई के दौरान 56 प्रतिशत बढ़कर 12.29 लाख टन पर पहुंच गया है। पिछले साल की इसी अवधि में यह 7.88 लाख टन रहा था। हालांकि कम आपूर्ति के कारण इसकी खुदरा कीमतें 65-70 रुपये प्रति किलोग्राम पहुंच जाने के कारण अब इसके आयात का निर्णय लिया गया है। वाणिज्यिक सतर्कता एवं सांख्यिकी महानिदेशालय (डीजीसीआईएस) के आंकड़े के अनुसार, समीक्षाधीन अवधि के दौरान मूल्य के आधार पर भी प्याज का निर्यात 47.69 प्रतिशत बढ़कर 1,443.09 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। पिछले साल की इसी अवधि में यह 977.84 करोड़ रुपये रहा था। सरकार ने एमएमटीसी जैसी व्यापार करने वाली सरकारी कंपनियों को पिछले सप्ताह मिस्र एवं चीन आदि देशों से प्याज का आयात करने की स्वीकृति दी है। यह निर्णय देश में प्याज की उपलब्धता बढ़ने और स्थानीय भाव नरम करने के मद्देनजर लिया गया है।
राष्ट्रीय बागवानी शोध एवं विकास फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक पी के गुप्ता ने बताया, अप्रैल-जुलाई के दौरान निर्यात दो कारणों से बढ़ा है। पहला कारण न्यूनतम निर्यात कीमत का नहीं होना और दूसरा कारण वैश्विक कीमतों का काफी अधिक होना है। उन्होंने आगे कहा कि पहली तिमाही में स्थानीय भाव काफी नीचे आ जाने से निर्यात ने किसानों को बेहतर दर पाने में मदद की है। हालांकि पुराना भंडार समाप्त होने और स्थानीय दाम बढ़ने से निर्यात अब धीमा हुआ है। डीजीआईएस के आंकड़े के अनुसार, अप्रैल-जुलाई के दौरान प्याज का निर्यात 11,737 रुपये प्रति टन की दर से हुआ।
न्यूनतम निर्यात कीमत वह स्तर है जिससे कम भाव पर वस्तुओं का निर्यात नहीं किया जा सकता है। प्याज के लिए न्यूनतम निर्यात कीमत को दिसंबर 2015 में समाप्त कर दिया गया था। गुप्ता ने कहा, पुरानी फसल के समाप्त हो जाने के कारण प्याज की खुदरा कीमतें दबाव में आ गयी हैं। नई फसल की आवक भी कम है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में प्याज की खुदरा कीमत अप्रैल में 15 रुपये प्रति किलोग्राम थी। यह जुलाई में बढ़कर 30-35 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गयी थी तथा अक्तूबर के अंत तक 50 रुपये प्रति किलोग्राम को पार कर गयी थी। हालांकि स्थानीय विक्रेता गुणवत्ता के आधार पर इसे 65-70 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेच रहे हैं। अन्य शहरों में भी प्याज के दाम में इसी तरह की तेजी देखी गयी है।