मुंबई : सार्वजनिक क्षेत्र की पवन हंस हेलिकॉप्टर की क्षेत्रीय संपर्क योजना उड़े देश का आम नागरिक (उड़ान) के तहत उड़ान शुरू करने की योजना अटक गई है। कंपनी का आरोप है कि मौजूदा विनिवेश प्रक्रिया और हेलिकॉप्टर उपलब्ध नहीं होने की वजह से वह यह सेवा शुरू नहीं कर पा रही है। सरकार ने पवन हंस में अपनी समूची 51 प्रतिशत हिस्सेदारी निजी कंपनियों को बेचने का प्रस्ताव किया है। कंपनी को उड़ान योजना के चरण दो के तहत असम, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर और उत्तराखंड सहित 11 मार्गों पर उड़ान शुरू करने की अनुमति मिली है।
इस मिनी रत्न सार्वजनिक उपक्रम कंपनी में शेष 49 प्रतिशत हिस्सेदारी सार्वजनिक क्षेत्र की तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के पास है। पवन हंस के पास 43 हेलिकॉप्टरों का बेड़ा है। इनमें से बड़ी संख्या में 30 साल से अधिक पुराने हैं। कंपनी की यूनियन के एक प्रतिनिधि ने कहा कि विनिवेश प्रक्रिया की वजह से हमारी कारोबारी विस्तार योजना बुरी तरह प्रभावित हुई है क्योंकि पूंजीगत खर्च और बेड़ा विस्तार पर अंकुश है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा हम उड़ान मार्गों पर उड़ानें इस वजह से भी शुरू नहीं कर पा रहे हैं कि हमारे पास ऐसी सेवाओं के लिए पर्याप्त हेलिकॉप्टर नहीं हैं। प्रतिनिधि ने कहा कि विनिवेश प्रक्रिया किसी कंपनी की कारोबारी विस्तार योजना में अड़चन नहीं बननी चाहिए।
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