एयर इंडिया (Air India) के बाद सरकार एक और सरकारी कंपनी को निजी हाथों में सौंपने जा रही है। कई हेलिकॉप्टर हादसों के लिए बदनाम और लगातार गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रही पवन हंस (Pawan Hnas) को जल्द ही प्राइवेट कर दिया जाएगा। सरकार ने कंपनी में मैनेजमेंट कंट्रोल के साथ अपनी पूरी 51% हिस्सेदारी स्टार9 मोबिलिटी को देने का निर्णय कर लिया है। जून महीने में इस डील के पूरा होने की सम्भावना है।
सरकार ने अप्रैल में 211.14 करोड़ रुपये में स्टार9 मोबिलिटी को पवन हंस लिमिटेड में अपनी 51 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने तथा प्रबंधन नियंत्रण का हस्तांतरण करने की मंजूरी दी थी। पवन हंस लिमिटेड में सरकार की हिस्सेदारी बेचने की डील 211.14 करोड़ रुपये में पूरी हुई है।
6 साल बाद सरकार को मिली सफलता
पवनहंस को बेचने के लिए लंबे समय से मेहनत कर रही सरकार को लगभग 6 साल बाद सफलता हासिल हुई। पवन हंस के बेड़े में 42 हेलीकॉप्टर हैं। यह विनिवेश पिछले 12 महीनों में सरकार के विमानन पोर्टफोलियो से दूसरी बड़ी बिक्री है। इस साल जनवरी में एयर इंडिया (Air India) टाटा समूह (Tata Group) के पास चली गई थी।
वित्तीय संकट से जूझ रही है पवन हंस लिमिटेड
पवन हंस लिमिटेड (Pawan Hans Limited) लंबे समय से घाटे में चल रही है। कंपनी को वित्त वर्ष 2018-19 में करीब 69 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। इसके बाद साल 2019-20 में कंपनी को करीब 28 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। कंपनी पर 230 करोड़ रुपये का कर्ज भी है।
पवन हंस सरकार और राज्य के स्वामित्व वाली ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्प लिमिटेड (ONGC) के बीच 51:49 हिस्सेदारी वाला जॉइंट वेंचर है। यह हेलीकॉप्टर सेवा प्रदाता मुख्य रूप से ओएनजीसी के ऑफशोर ऑपरेशंस के लिए काम करता है और पहाड़ों व दुर्गम इलाकों के लिए कुछ उड़ानें संचालित करता है।
साल 2016 में सरकार ने पवन हंस में अपनी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया था। उस समय जिन विकल्पों पर विचार किया गया था, उनमें से एक ओएनजीसी को कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी हासिल करने की अनुमति देना भी था। हालांकि, इस विकल्प को अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली। साल 2018 में ओएनजीसी ने भी सरकार के रणनीतिक विनिवेश लेनदेन के बोलीदाता को समान मूल्य और शर्तों पर अपनी पूरी हिस्सेदारी देने का फैसला किया।
पवन हंस के लिए सरकार को मिली 3 बोलियां
सरकार को पवन हंस के लिए 3 बोलियां मिली थीं। इसमें एक बोली 181.05 करोड़ रुपये की थी। जबकि दूसरी बोली 153.15 करोड़ रुपये की। केवल Star9 Mobility की बोली सरकार के रिजर्व प्राइस से ज्यादा थी। स्टार9 मोबिलिटी बिग चार्टर प्राइवेट लिमिटेड, महाराजा एविएशन प्राइवेट लिमिटेड और अल्मास ग्लोबल अपॉर्चुनिटी फंड से मिलकर बना है।