नई दिल्ली : बाजार नियामक सेबी ने निवेश सलाहकार कंपनियों के लिए नए नियमों का मसौदा जारी कर लोगों से 30 जनवरी तक राय मांगी है। इसमें निवेश परामर्शदाताओं के परामर्श कामकाज और निवेश उत्पादों के वितरण को अलग करने का प्रस्ताव है। इसके पीछे सेबी का मकसद नियामकीय ढांचे को मजबूत करना है।
परिचर्चा पत्र के अनुसार भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने निवेश सलाहकारों को सुझाव दिया है कि उन्हें किसी भी निवेश सलाह के तहत लोगों को निश्चित रिर्टन मिलने का वादा नहीं करना चाहिए। सेबी ने निवेश परामर्श के लिए शुल्क लेने की प्रक्रिया तय करने और निवेश सलाहकारों के लिए नेटवर्थ में बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव भी रखा है।
बाजार नियामक ने स्पष्ट किया है कि परामर्शदाताओं को अपने ग्राहकों को यह साफ तौर पर बताना चाहिए कि वह उनसे किसी भी तरह की ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ (ग्राहक के स्थान पर खुद निर्णय लेने की आजादी) नहीं लेंगे जो उन्हें स्वत: निवेश निर्णय लागू करने का अधिकार दे।
सेबी को निवेश सलाहकारों के मनमाने तरीके से शुल्क लेने, निश्चित रिटर्न का वादा करने इत्यादि की बहुत सी शिकायतें मिली थीं जिसके चलते उसने नए नियमों के मसौदे पर लोगों से 30 जनवरी तक सुझाव मांगे हैं।