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राफेल सौदे को लेकर आरोप शर्मनाक : सीतारमण

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नई दिल्ली : रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने राफेल लड़कू विमान सौदे को लेकर कांग्रेस के आरोपों को शर्मनाक बताया और कहा कि इस तरह के आरोप सशस्त्र बलों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकते हैं। मुख्य विपक्षी दल के आरोपों का उन्होंने पहली बार मजबूती के साथ खंडन किया। उन्होंने कहा कि हथियार प्रणाली के साथ प्रत्येक विमान की लागत पिछली संप्रग सरकार द्वारा की गई बातचीत से काफी कम है। उन्होंने कहा कि फ्रांस के साथ सरकारों के स्तर पर आपात खरीद का समझौता पूरी तरह पारदर्शी प्रक्रिया के बाद हुआ। सीतारमण ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, इस तरह के आरोप शर्मनाक हैं।

1 सौदे को अंतिम रूप पूरी तरह से पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने के बाद दिया गया। रक्षा मंत्री की टिप्पणी कांग्रेस के कल के आरोप के बाद आई है। कांग्रेस ने कल आरोप लगाया था कि एक उद्योगपति को फायदा पहुंचाने के लिये प्रधानमंत्री ने समूचा सौदा ही बदल दिया। सीतारमण ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की योज्ञता पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि संप्रग के कार्यकाल में 10 साल की बातचीत के बाद भी सौदे को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को देश का जवाब देने की चिंता करनी चाहिये। भारतीय वायूसेना को जब इन लड़कू विमानों की जरूरत थी तब इस सौदे में इतनी देरी क्यों की गई। सीतारमण से जब बार बार विमानों की कीमत के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह इस बारे में ब्यौरा देने से पीछे नहीं हट रही हैं। उन्होंने अधिकारियों को मीडिया को आंकड़ उपलब्ध कराने के लिये कहा।

 फ्रांस के साथ भारत ने पिछले साल सितंबर में 36 राफेल लड़कू विमानों के लिये 58,000 करोड़ रुपये के सौदे में अंतर-सरकारी स्तर पर समझौता किया। प्रधानमंत्री नरेन्द, मोदी ने सथा संभालने के करीब डेढ साल बाद पेरिस के यात्रा के दौरान सौदे की घोषणा की गई। इन विमानों की आपूर्ति सितंबर 2019 से होनी है। विपक्षी दल कांग्रेस ने इस सौदे को लेकर कई सवाल उठाये हैं। उसने सौदे को महंगा और राष्ट्रीय हित और सुरक्षा के खिलाफ बताया है।

कांग्रेस ने सरकार पर इस मामले में साठगांठ वाला पूंजीवाद चलाने का भी आरोप लगाया है। कांग्रेस का कहना है कि सरकार ने महंगा सौदा कर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया है। सीमारमन ने कहा कि रक्षा खरीद सौदे की प्रक्रिया कहती है कि ऐसे सौदे दोस्ताना संबंधों की सरकारों के साथ होने चाहिये। उन्होंने इस सौदे में किसी उद्योगपति का पक्ष लिये जाने के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि 36 राफेल जेट विमानों के लिये सितंबर 2016 में समझौता किया गया। इससे पहले भारत और फ्रांस पक्ष के बीच पांच दौर की लंबी बातचीत चली। सौदे को मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति ने भी मंजूरी दी है।

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