सिकंदराबाद : देश की अर्थव्यवस्था में पिछले कुछ समय से जारी मंदी के कारण रेलवे की माल ढुलाई बुरी तरह प्रभावित हुई है और अकेले दक्षिण मध्य रेलवे की माल ढुलाई में एक-डेढ़ महीने में 15 लाख टन की गिरावट दर्ज की गयी है। दक्षिण मध्य रेलवे के महाप्रबंधक गजानन मल्लया ने कहा कि लौह अयस्क का आयात प्रतिबंधित हो गया है। आर्थिक गतिविधियों तथा ढांचागत निर्माण में सुस्ती के कारण सीमेंट की ढुलाई के ऑर्डर में भी कमी आयी है। इससे पिछले एक-डेढ़ महीने में माल परिवहन में हमें काफी नुकसान हुआ है।
उन्होंने बताया कि गत एक-डेढ़ माह के दौरान दक्षिण मध्य जोन की माल ढुलाई में 15 लाख टन की कमी आई है हालांकि कोयला ढुलाई में वृद्धि से कुछ हद तक भरपाई हुई है, अन्यथा नुकसान और अधिक हो सकता था। उन्होंने उम्मीद जतायी कि माल ढुलाई को प्रोत्साहित करने के लिए रेल मंत्रालय द्वारा 11 सितंबर को की गयी घोषणाओं से बुकिंग बढ़ाने में मदद मिलेगी। रेल मंत्रालय ने व्यस्त अवधि के दौरान माल ढुलाई पर लगने वाला 15 प्रतिशत अधिभार माफ करने की घोषणा की है।
इससे 01 अक्टूबर से 30 जून तक 2020 तक कंपनियों को इस अधिभार से राहत मिलेगी। इसके साथ माल भेजने के बाद खाली कंटेनर वापस मंगाने और कम दूरी तक कंटेनर भेजने में भी शुल्क में राहत की घोषणा की गयी है। माल ढुलाई के मामले में दक्षिण मध्य रेलवे भारतीय रेल का पांचवां सबसे बड़ा जोन है। यहां सबसे अधिक कोयला और सीमेंट की ढुलाई होती है। जोन की कुल माल ढुलाई में कोयले का योगदान 55 प्रतिशत, सीमेंट का 23 प्रतिशत, उर्वरक का पांच प्रतिशत और लौह अयस्क का चार प्रतिशत है।
जोन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीने में अप्रैल से जुलाई के दौरान भी माल ढुलाई में हल्की गिरावट देखी गयी थी। यह पिछले वित्त वर्ष के पहले चार महीने के 391.6 लाख टन से घटकर मौजूदा वित्त वर्ष के पहले चार महीने में 390.2 लाख टन रह गया। इस प्रकार इसमें 0.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है जबकि इस अवधि के लिए निर्धारित लक्ष्य से यह 4.40 प्रतिशत कम है।
उन्होंने बताया कि रेल मंत्रालय की घोषणाओं के बावजूद पहले एक महीने में स्थिति में सुधार की संभावना नहीं है। अकेले व्यस्त अवधि का अधिभार माफ करने से दक्षिण मध्य जोन को 500 करोड़ का नुकसान होगा। मल्लया ने बताया कि माल गाड़ियाें की रफ्तार बढ़कर ढुलाई को प्रोत्साहित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जोन में लाइन क्षमता का दोहन 120 से 150 प्रतिशत के बीच है। यात्री ट्रेनों की आवाजाही बहुत बढ़ने से माल गाड़ियों की रफ्तार कम हुई है। समर्पित माल ढुलाई गलियारों के शुरू होने के बाद इसमें सुधार की उम्मीद है।