नई दिल्ली : अचल संपत्ति बाजार के नियमन के लिए बनाए गए रीयल एस्टेट विनियमन अधिनियम (रेरा) के कार्यान्वयन में तेजी आयी है। लगभग 90 प्रतिशत राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों ने रेरा को अधिसूचित किया है जिससे रीयल एस्टेट बाजार में जवाबदेही बढ़ी है। यह जानकारी संपत्ति परामर्श कंपनी जेएलएल के एक अध्ययन में सामने आयी है। अध्ययन के अनुसार इस क्षेत्र में खरीदारों के विश्वास को फिर से बहाल करने के साथ बाजारों में 2018 में आवास बिक्री में असरदार सुधार देखा गया है। बिक्री में तेजी का दौर 2019 की पहली छमाही में भी जारी रहा।
वर्ष 2018 में इसी अवधि की तुलना में आवासीय इकाइयों की बिक्री में 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई। आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों पर आधारित जेएलएल के अध्ययन के अनुसार 30 जून 2019 तक देशभर में कुल 43,398 रीयल एस्टेट परियोजनाओं और 33,270 रीयल एस्टेट एजेंटों ने रेरा के तहत पंजीकरण कराया है, जो इसके क्रियान्वयन में आई तेजी को दिखाता है। अध्ययन के अनुसार पंजीकृत परियोजनाओं में करीब 69 प्रतिशत ऐसी हैं जिन पर पहले से काम चल रहा है। इससे किसी रीयल एस्टेट परियोजना से जुड़े हितधारकों के लिए अपनी परियोजनाओं तक पहुंच और पंजीकरण कराना आसान हो गया है।
हालांकि, रपट में विशेषज्ञों ने कहा कि रेरा का वास्तविक प्रभाव अगले कुछ वर्षों में और स्पष्ट होगा, क्योंकि परियोजनाएं रेरा पंजीकरण में उल्लेखित समय सीमाओं में डिलीवरी करेंगी और खरीदारों और प्रमोटरों के बीच विवाद का प्रभावी समाधान होगा। जेएलएल के अनुसार रेरा के मुख्य उद्देश्य-पारदर्शिता को बढ़ाना, बाजार में वित्तीय अनुशासन लाना और हितधारकों के बीच जवाबदेही प्रभावी बनाना है। यदि विनियमन प्रभावी रूप से लागू किया जाता है तो यह नया मानदंड बन जाएगा।“
आवास श्रेणी में रेरा ने घर खरीदारों और डेवलपरों के बीच एक समान स्तर कायम किया है। नतीजतन भारत के आवासीय क्षेत्र में प्रारंभिक चुनौतीपूर्ण चरण के बाद बड़ा बदलाव आया है। इस क्षेत्र में खरीदारों के विश्वास को फिर से बहाल करने के साथ बाजारों में 2018 में आवास बिक्री में असरदार सुधार देखा गया है।