नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिए के प्रमुख नीतिगत दरों में आगे और भी वृद्धि कर सकती है और इसके लिए गुंजाइश भी है। वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी एचएसबीसी ने अपनी एक ताजा रपट में यह बात कही है। आरबीआई ने इसी माह के शुरू में चालू वित्त वर्ष के बारे में खुदरा मुद्रास्फीति के अपने पहले के अनुमान को बढ़ाते हुए इसे 0.30 प्रतिशत तक ऊंचा कर दिया। आरबीआई ने साथ में ही अपनी नीतिगत दर 6.00 प्रतिशत से बढ़ा कर 6.25 प्रतिशत कर दिया।
एचएसबीसी का मानना है कि आगे चलकर दरों में और वृद्धि की गुंजाइश है। एचएसबीसी में एशियाई आर्थिक शोध के सह-प्रमुथ फ्रेड्रिक न्यूमैन ने नोट में कहा कि भारत नीतिगत दरों में बदलाव करके इसमें वृद्धि कर सकता है। कच्चे तेल की कीमतें भारत के लिए चिंता का विषय है। इसकी वजह से व्यापार संतुलन बिगड़ रहा है और महंगाई का दबाव बढ़ रहा है। खुदरा मुद्रास्फीति मई में उछलकर चार महीने के उच्च स्तर 4.87 प्रतिशत पहुंच गयी, जो कि वर्ष पहले की इसी अवधि में 2.18 प्रतिशत थी।
देश और दुनिया का हाल जानने के लिए जुड़े रहे पंजाब केसरी के साथ।