नई दिल्ली : कर्ज में डूबी करीब 70 बड़ी कंपनियों के खिलाफ दिवालिया कार्रवाई शुरू होगी। इन कंपनियों पर बैंकों का करीब 4 लाख करोड़ रुपये फंसा हुआ है। दरअसल, रिजर्व बैंक ने फरवरी 2018 में एक सर्कुलर जारी कर यह स्पष्ट कर दिया था कि यदि कॉर्पोरेट घराने कर्ज़ को चुकाने में एक दिन की भी देरी करते हैं तो उसे डिफॉल्टर मान कर उनके कर्ज़ ली गई रकम को एनपीए घोषित कर दिया जाएगा।
तकनीकी रूप से इसे ‘वन डे डिफॉल्ट नॉर्म’ कहा गया और 1 मार्च से लागू भी कर दिया गया। बैंकों को ऐसे सभी पिछले मामलों को सुलझाने के लिए 1 मार्च 2018 से 180 दिनों का वक्त दिया गया था जो सोमवार (27 अगस्त) को पूरा हो गया। इस दौरान कंपनियों और बैंकों के बीच जो मामले नहीं सुलझे उन सभी कंपनियों के खातों को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया में शामिल होने के लिए मजबूर किया जा सकता है।
इन खातों में बैंकों का कुल 3800 अरब रुपये का कर्ज फंसा है। आरबीआई ने इन 70 कंपनियों को 15 दिन का समय दिया है ताकि वे अपना वकील और रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल एप्वाइंट कर सकें। अगर इन 15 दिन में कंपनियों कोई समाधान पेश करती हैं और वह सभी कर्ज देने वाले बैंकों को मंजूर होता है तो इन खातों को कोर्ट नहीं भेजा जाएगा।