मुंबई : रिजर्व बैंक की नीतिगत ब्याज दर पर निर्णय लेने वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन तक चलने वाली बैठक शुरू हो गई। यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि विश्व बाजार में कच्चे तेल के बढ़ते दाम और ऊंची मुद्रास्फीति के चलते समिति पिछले साढे चार साल में पहली बार नीतिगत दर में वृद्धि कर सकती है। रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में छह सदस्यीय एमपीसी की बैठक तीन दिन तक चलेगी। एमपीसी की बैठक आमतौर पर दो दिन की होती है लेकिन इस बार पहला मौका है जब बैठक तीन दिन तक चलेगी। प्रशासनिक अनिवार्यताओं के चलते यह हुआ है।
चालू वित्त वर्ष की यह दूसरी मौद्रिक समीक्षा होगी। समिति की बैठक में लिये गये फैसले के बारे में बुधवार को जानकारी दी जायेगी। रिजर्व बैंक ने इससे पहले जनवरी 2014 में नीतिगत दर को बढ़ाकर आठ प्रतिशत किया था। तब से इसमें या तो कमी की गई या फिर इसे स्थिर रखा गया। वर्तमान में प्रमुख नीतिगत दर रेपो छह प्रतिशत पर है। समाप्त वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 7.7 प्रतिशत रहने और इस साल मानसून सामान्य रहने की भविष्यवाणी होने के बाद से रिजर्व बैंक की प्रमुख नीतिगत दर में कटौती को लेकर जो जोरदार मांग उठाई जाती रही है। वह सुस्त पड़ गई।
रिजर्व बैंक के लिये खुदरा मुद्रास्फीति काफी अहम आंकड़ा है। नवंबर 2017 के बाद से यह चार प्रतिशत से ऊपर बना हुआ है। इसके अलावा कच्चे तेल के दाम भी बढ़ रहे हैं। दिल्ली में पेट्रोल का दाम 77.96 रुपये और डीजल का दाम 68.97 रुपये लीटर पर पहुंच गया। सरकार ने रिजर्वबैंक को आर्थिक वृद्धि को समर्थन देते हुये खुदरा मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर अथवा नीचे) के दायरे में रखने के लिये अधिकृत किया हुआ है।
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