संकटग्रस्त रिलायंस कम्युनिकेशंस के समाधान पेशेवर ने कंपनी की समाधान योजना को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष पेश किया है। समाधान योजना को कंपनी के ऋणदाताओं की समिति ने पहले ही मंजूरी दे दी है।
शेयर बाजार को दी जानकारी में आरकॉम ने बताया कि दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता के तहत ऋणदाताओं की समिति ने एक समाधान योजना को मंजूरी दी है। कंपनी के समाधान पेशेवर ने छह मार्च 2020 को एनसीएलटी की मुंबई शाखा में इस योजना को रखा है।
समाधान योजना में आरकॉम की परिसंपत्तियों की बिक्री से करीब 23,000 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त होने और कुछ रिणदाताओं को भुगतान की गई राशि की वापसी की योजना शामिल है।इसमें से 5,500 करोड़ रुपये चीन के बैंकों को जाएंगे जो उनके मूल कर्ज के 55 प्रतिशत का भुगतान होगा। इसमें ऐसे कर्जदाता भी शामिल हैं जिन्हें कंपनी के प्रवर्तक अनिल अंबानी ने कथित तौर पर निजी गारंटी दी थी।
आरकॉम ने बताया कि दो मार्च को ऋणदाताओं की समिति की बैठक के बाद चार मार्च तक कराए गए ई-मतदान में आरकॉम के ऋणदाताओं की समिति ने यूवी एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड की समाधान योजना को 100 प्रतिशत मत के साथ मंजूरी दे दी।
आरकॉम के अलावा कंपनी की अनुषंगी रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड और रिलायंस इंफ्राटेल भी दिवाला प्रक्रिया से गुजर रही हैं। इनकी भी समाधान योजना को दोनों कंपनियों की ऋणदाताओं की समिति ने 100 प्रतिशत मत के साथ स्वीकार कर लिया है।
समाधान योजना के मुताबिक रिलायंस जियो 4,700 करोड़ रुपये में रिलायंस इंफ्राटेल लिमिटेड के टावर और फाइबर संपत्ति का अधिग्रहण करेगी वहीं यूवी एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी 14,000 करोड़ रुपये में आरकॉम और रिलायंस टेलीकॉम (स्पेक्ट्रम) को खरीदेगी।
इसमें धनवापसी उपाय को भी शामिल किये जाने के बाद समाधान योजना में कुल 23,000 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त होगी। इसमें सबसे बड़े कर्ज दाता एक चीनी बैंक को 5,500 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे। कथित व्यक्तिगत गारंटी वाले एक अन्य कर्ज पर चीनी बैंक को 1,800 करोड़ रुपये मिलेंगे।
चीन के — इंडस्ट्रियल एण्ड कमर्शियल बैंक आफ चाइना लिमिटेड, चाइना डेवलपमेंट बैंक और एक्सपोर्ट- इंपोर्ट बैंक आफ चाइना — बैंकों ने अनिल अंबानी से बकाये की वसूली के लिये ब्रिटेन की अदालत में मुकद्दमा किया था।