मुंबई : रिजर्व बैंक ने द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के लिये खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को कम कर 3.9 से 4.5 प्रतिशत कर दिया। रिजर्व बैंक ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो दर 6.25 प्रतिशत पर बरकरार रखा है, जिससे की कर्ज महंगा होने की बातों पर विराम लग गया है। हालांकि उसने नीतिगत रुख में बदलाव करते हुए उसे तटस्थ की जगह सधे अंदाज में सख्त करने वाला कर दिया। अधिकांश विश्लेषकों और बैंक अधिकारी मान रहे थे कि केंद्रीय बैंक नीतिगत दरों में कम से कम 0.25 प्रतिशत की वृद्धि करेगा।
रिजर्व बैंक ने कहा कि समिति मजबूती से मुख्य या खुदरा मुद्रास्फीति के मध्यम अवधि लक्ष्य को चार प्रतिशत के दायरे में रखने की प्रतिबद्धता दोहराती है। रिजर्व बैंक की रेपो दर 6.5 प्रतिशत और रिवर्स रेपो दर 6.25 प्रतिशत बरकरार रहेगी। समिति के पांच सदस्यों ने दर यथावत रखने के पक्ष मत दिया। सिर्फ चेतन घटे ने अकेले 0.25 प्रतिशत वृद्धि का पक्ष लिया। रिजर्व बैंक के गवर्नर ऊर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल के उत्पाद शुल्क में की गयी हालिया कटौती से मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने में मदद मिलेगी। खाद्य वस्तुओं के दाम में असामान्य रूप से नरमी को देखते हुए रिजर्व बैंक ने महंगाई दर के अनुमान को घटाया है।
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केंद्रीय बैंक ने चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति में कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति नरम बनी हुई है। इसको देखते हुए इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में महंगाई दर वृद्धि अनुमान को कम किया गया है। उसने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में महंगाई दर 4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वहीं दूसरी छमाही (अक्टूबर-मार्च) में 3.9 से 4.5 प्रतिशत तथा 2019-20 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसके ऊपर जाने का कुछ जोखिम है। आरबीआई ने एक बयान में कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का निर्णय नीतिगत रुख को बदलकर ‘तटस्थ’ की जगह ‘सधे ढंग से सख्त करने’ के अनुरूप है।