नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति में वृद्धि, तेल के दाम में तेजी तथा सरकार की फसल का समर्थन मूल्य बढ़ाने की योजना को देखते हुए मानक नीतिगत दर में कटौती से परहेज कर सकता है और लगातार तीसरी बार यथास्थिति बनाये रख सकता है। वर्ष 2017-18 की छठी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के लिये रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की 6 और 7 फरवरी को बैठक होगी। केंद्रीय बैंक समीक्षा का ब्योरा बुधवार दोपहर जारी करेगा। आरबीआई ने दिसंबर में मौद्रिक नीति समीक्षा में मुद्रास्फीति में वृद्धि की आशंका को देखते हुए मानक नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया। साथ ही चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को कम कर 6.7 प्रतिशत कर दिया।
केंद्रीय बैंक ने अगस्त में नीतिगत दर रेपो 0.25 प्रतिशत कम कर 6 प्रतिशत कर दिया जो छह साल का न्यूनतम स्तर है। बैंक प्रमुखों तथा विशेषज्ञों का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में वृद्धि के साथ मुद्रास्फीति में तेजी की आशंका को देखते हुए रिजर्व बैंक लगातार तीसरी बार नीतिगत दर को यथावत रख सकता है। यूनियन बैंक आफ इंडिया के प्रबंध निदेशक तथा मुख्य कार्यपालक अधिकारी राजकिरण राय जी ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि रिजर्व बैंक को नीतिगत दर को यथावत रखना चाहिए। मेरे हिसाब से इस समय नीतिगत दर में कटौती की संभावना नहीं बन रही। लेकिन उन्हें दर में वृद्धि भी नहीं करनी चाहिए। मुझे लगता है कि नीति का रुख तटस्थ होगा।’’ कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के वरिष्ठ अर्थशास्त्री एस रक्षित ने भी कहा कि रिजर्व बैंक यथास्थिति बनाये रख सकता है। हालांकि उन्होंने कहा कि 2018-19 में नीतिगत दर में वृद्धि की संभावना को देखते हुए रिजर्व बैंक का रुख थोड़ा आक्रमक जरूरत हो सकता है।
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