नई दिल्ली : सब्जी और दाल महंगी होने से खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर में 14 महीने के उच्च स्तर 3.99 प्रतिशत पर पहुंच गयी। हालांकि, इस वृद्धि के बावजूद खुदरा महंगाई दर आरबीआई के चार प्रतिशत के दायरे में है। वहीं ईंधन और कुछ खाद्य सामग्रियों की कीमतें कम होने से थोक मूल्य सूचकांक आधारित (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति सितंबर महीने में गिरकर तीन साल से अधिक के निचले स्तर 0.33 प्रतिशत पर रही। अगस्त में थोक मुद्रास्फीति 1.08 प्रतिशत रही थी जबकि एक साल पहले सितंबर में यह पांच प्रतिशत से ऊपर थी।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई दर अगस्त 2019 में 3.28 प्रतिशत और पिछले साल सितंबर महीने में 3.70 प्रतिशत थी। इससे पहले, जुलाई 2018 में यह 4.17 प्रतिशत के उच्च स्तर तक पहुंच गई थी। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार सितंबर में खाने-पीने के सामान के मामले में मुद्रास्फीति दर 5.11 प्रतिशत रही जो इससे पूर्व अगस्त माह में 2.99 प्रतिशत थी।
समीक्षावधि में सब्जियों की मुद्रास्फीति 15.40 प्रतिशत रही जो इससे पूर्व महीने में 6.9 प्रतिशत थी। इसके अलावा दाल और मांस तथा मछली की महंगाई दर आलोच्य महीने में अगस्त महीने के मुकाबले अधिक रही। हालांकि, ईंधन और बिजली खंड में महंगाई दर नीचे आयी है।
रिजर्व बैंक द्विमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा करते समय मुख्य रूप से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर पर ही ध्यान देता है। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (फिच समूह) के प्रधान अर्थशास्त्री सुनील सिन्हा ने कहा कि केंद्रीय बैंक नरम नीतिगत रुख को बरकरार रखेगा और इस साल दिसंबर में एक बार और नीतिगत दर में कटौती कर सकता है।