नई दिल्ली : खुदरा मुद्रास्फीति अभी कुछ और चढ़ेगी, लेकिन 2018-19 की दूसरी (अक्तूबर-मार्च) छमाही में यह रिजर्व बैंक के अनुमानों से भी नीचे आएगी। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है। वैश्विक ब्रोकरेज कंपनियों मसलन बैंक आफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोफाएमएल), डॉयचे बैंक और यूबीएस के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में और अभी होने वाली वृद्धि तुलनात्मक आधार के विपरीत प्रभाव की वजह से होगी।
यह प्रभाव खत्म हो कर यह यह नीचे आएगी। बोफाएमएल ने एक शोध नोट में कहा कि आधार प्रभाव का असर हटने के बाद दूसरी छमाही में यह घटकर 4.2 प्रतिशत पर आ जाएगी। रिजर्व बैंक ने इसके 4.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। वहीं डॉयचे बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि जून में मुद्रास्फीति ऊंचे स्तर 5.1 से 5.3 प्रतिशत रहेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि आधार प्रभाव प्रतिकूल रहने पर जून में यह ऊंची रहेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि नकारात्मक आधार प्रभाव समाप्त होने के बाद मुद्रास्फीति धीरे-धीरे नीचे आएगी।
दिसंबर तक यह चार प्रतिशत पर आ जाएगी और उसके बाद मार्च, 2019 के अंत तक यह 4.5 से 4.6 प्रतिशत पर होगी। स्विस ब्रोकरेज यूबीएस के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति सालाना आधार पर 2018-19 में औसतन पांच प्रतिशत रहेगी। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार मई में खुदरा मुद्रास्फीति चार महीने के उच्चस्तर 4.87 प्रतिशत पर पहुंच गई है। उल्लेखनीय है कि भारतीय रिजर्व बैंक खुदरा मुद्रास्फीति के आधार पर ही ब्याज दरों पर फैसला करता है।
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