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राज्यों का राजस्व अंतर पहुंच सकता है एक लाख करोड़ के पार

जीएसटी के तहत मुआवजा अवधि समाप्त होने के बाद राज्यों को एकीकृत रूप से 1.23 लाख करोड़ रुपये तक के राजस्व की कमी का सामना करना पड़ सकता है।

नई दिल्ली : माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत मुआवजा अवधि समाप्त होने के बाद राज्यों को एकीकृत रूप से 1.23 लाख करोड़ रुपये तक के राजस्व की कमी का सामना करना पड़ सकता है। आर्थिक शोध संस्थान एनआईपीएफपी की एक रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है। 
इसमें कहा गया है कि 30 जून, 2022 को जीएसटी के तहत राज्यों के लिये उनके राजस्व नुकसान की भरपाई करने की पांच साल की अवधि समाप्त हो जाएगी। इसके बाद राज्यों को राजस्व वृद्धि के अनुरूप भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है। जीएसटी का क्रियान्वयन एक जुलाई, 2017 को किया गया था। उस समय केंद्र ने राज्यों को एक सहमति वाले फॉर्मूला के तहत पांच साल तक राजस्व की संभावित वृद्धि में होने वाले नुकसान की भरपाई का वादा किया था। 
रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि 30 जून, 2022 के बाद जीएसटी मुआवजे की व्यवस्था समाप्त हो जाती है, तो राज्यों के राजस्व में उम्मीद के अनुरूप कर प्राप्ति और आंकडे स्रोत विश्वसनीयता की यदि बात की जाये तो कुल मिलाकर 1,00,700 से 1,23,646 करोड़ रुपये के बीच कमी रह सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे में राज्यों को 2022-23 में अपने मौजूदा संसाधनों से ही इतना राजस्व और जुटाना होगा या फिर अपने खर्चो में कमी करनी पड़ेगी।
एक लाख सालाना बिजली बिल भरने वाले नहीं भर सकेंगे ‘सहज’ फार्म में रिटर्न
आयकर रिटर्न फॉर्म के उपयोग में महत्वपूर्ण बदलाव किये गये हैं। घर का संयुक्त मालिकाना अधिकार रखने वाले, साल भर में एक लाख रुपये का बिजली बिल भरने और विदेश यात्राओं पर दो लाख रुपये से अधिक खर्च करने वाले व्यक्तिगत करदाता अब सामान्य आईटीआर-1 फॉर्म में आयकर रिटर्न नहीं भर सकेंगे। ऐसे करदाताओं को दूसरे फार्म में रिटर्न भरनी होगी जिन्हें आने वाले दिनों में अधिसूचित किया जायेगा। 
सरकारी अधिसूचना में यह जानकारी दी गई है। सरकार आम तौर पर हर साल अप्रैल महीने में आयकर रिटर्न भरने के फॉर्म की अधिसूचना जारी करती है। लेकिन सरकार ने इस बार आकलन वर्ष 2020-21 के लिये तीन जनवरी को ही अधिसूचना जारी कर दी। मौजूदा व्यवस्था के अनुसार 50 लाख रुपये तक की सालाना कमाई करने वाले आम निवासी व्यक्ति आईटीआर-1 ‘सहज’ फॉर्म भर सकते हैं। 
इसी प्रकार व्यवसाय और पेशे से हाने वाली अनुमानित और 50 लाख रुपये तक की सालाना आय वाले हिन्दू अविभाजित परिवार, एलएलपी को छोड़कर अन्य कंपनियां, व्यक्तिगत करदाता आईटीआर-4 सुगम में रिटर्न भरते हैं। लेकिन ताजा जारी अधिसूचना के मुताबिक इसमें दो महत्वपूर्ण बदलाव किये गये हैं।

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