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सहारा समूह को इस साल समस्याओं से राहत की उम्मीद, रीयल्टी क्षेत्र में जुड़े दो बड़े निवेशक

उल्लेखनीय है कि सहारा-सेबी मामले में सरकार ने सोमवार को संसद में पूछे गये सवालों के जवाब में कहा कि सहारा समूह ने एक फरवरी 2020 की स्थिति के मुताबिक ‘सेबी-सहारा रिफंड खाते’ में 15,448.67 करोड़ रुपये जमा किये हैं।

संकट में फंसे सहारा समूह को उम्मीद है कि वर्ष 2020 उसके लिये राहत भरा होगा और उसकी तमाम परेशानियां इस साल दूर हो जायेंगी। समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय ने भरोसा जताया है कि समूह की सभी समस्याएं इस साल सुलझ जाएंगी। रॉय ने बुधवार को कहा कि समूह के रीयल एस्टेट और शहर विकास कारोबार में दो बड़े विदेशी निवेशकों को साथ जोड़ा गया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास जो 22,000 करोड़ रुपये जमा कराए गए हैं वे भी अंतत: वापस आ जायेंगे। 
रॉय ने सहारा के सभी निवेशकों को भी भरोसा दिलाया है कि उन्हें उनका निवेश पूरे ब्याज के साथ मिलेगा और एक दिन का विलंब होने पर भी उन्हें अतिरिक्त ब्याज दिया जाएगा। समूह के 42वें स्थापना दिवस पर निवेशकों को लिखे पत्र में रॉय ने कहा कि समूह ने हमेशा समय पर भुगतान और सेवाओं में विशिष्टता की अपनी परंपरा को कायम रखा है। कुछ अवांछित परिस्थितियों की वजह से पिछले कुछ साल के दौरान कुछ स्थानों पर भुगतान में देरी हुई है। समूह का स्थापना दिवस एक फरवरी है। 
पूंजी बाजार नियामक सेबी के साथ समूह की दो कंपनियों द्वारा बांड जारी कर जुटाए गए कोष मामले में नियमन संबंधी विवाद पर रॉय ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी ‘एम्बार्गो’ की वजह से संपत्तियों की बिक्री या उसे गिरवी रखकर जुटाई गई समूची राशि को सेबी-सहारा खाते में जमा कराया गया है। रॉय ने लिखा है, ‘‘इसमें से हम एक रुपया भी संगठन के कामकाज या निवेशकों को भुगतान पर खर्च नहीं कर सकते हैं।’ 
उल्लेखनीय है कि सहारा-सेबी मामले में सरकार ने सोमवार को संसद में पूछे गये सवालों के जवाब में कहा कि सहारा समूह ने एक फरवरी 2020 की स्थिति के मुताबिक ‘सेबी-सहारा रिफंड खाते’ में 15,448.67 करोड़ रुपये जमा किये हैं।इसके अलावा समूह ने 41.59 करोड़ रुपये का एक और चेक जनवरी आखिर में दिया जिसे अदालत ने बिना पूर्वाग्रह के स्वीकार करने को कहा। 
लोकसभा में सहारा समूह से जुड़े एक सवाल के जवाब में वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने आगे कहा कि सेबी को 19,560 आवेदन मिले हैं। ये आवेदन कुल 81.3 करोड़ रुपये मूल्य के 53,361 बांड प्रमाणपत्र से जुड़े हैं। इसमें से सेबी ने 14,146 आवेदानों से जुड़े 39,499 प्रमाणपत्रों पर 109.86 करोड़ रुपये का रिफंड किया है। इसमें 58.52 करोड़ रुपये मूल राशि और 51.34 करोड़ रुपये ब्याज शामिल है। 
ठाकुर ने यह भी कहा कि सेबी ने निवेशकों से उनके रिफंड दावे भेजने के लिये विज्ञापन भी जारी किये हैं। इस तरह का आखिरी विज्ञापन 2018 में 26 मार्च और 19 जून को जारी किया गया। इनमें कहा गया है कि निवेशकों से रिफंड दावे के आवेदन स्वीकार करने की आखिरी तिथि 2 जुलाई 2018 है, उसके बाद कोई आवेदन स्वीकार नहीं किया जायेगा। निवेशकों से कहा गया कि वह उनके लिये रिफंड दावे करने का आखिरी मौका है। 
सुब्रत रॉय ने भरोसा जताया कि समस्याएं जल्द सुलझ जाएंगी क्योंकि दो प्रतिष्ठित विदेशी निवेशकों को जोड़ा गया है जिनके पास बड़ा कोष है। ये दो निवेशक हमारे रीयल एस्टेट और शहर विकास कारोबार में निवेश करेंगे। रॉय ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के मद्देनजर कुछ करार किए गए हैं, जिससे 2020 में सहारा की समस्याएं सुलझ जाएंगी। सेबी ने 2011 में सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कॉरपोरेशन लि. (एसआईआरईसीएल) अैर सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन (एसएचआईसीएल) को तीन करोड़ निवेशकों से वैकल्पिक पूर्ण परिवर्तनीय बांडों (ओएफसीडी) के जरिये जुटाई गई राशि को लौटाने का निर्देश दिया था। 
अपीलों और जवाबी अपीलों की लंबी प्रक्रिया के बाद उच्चतम न्यायालय ने 31 अगस्त, 2012 को सेबी के दोनों कंपनियों को निवेशकों का पैसा 15 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाने के आदेश को उचित ठहराया। सहारा को अंतत: सेबी के पास निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए 24,000 करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश दिया गया। हालांकि, सहारा समूह हमेशा यही कहता रहा है कि यह दोहरा भुगतान होगा क्योंकि समूह पहले ही 95 प्रतिात से अधिक निवेशकों का पैसा सीधे उन्हें लौटा चुका है। 

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