नई दिल्ली : सूचीबद्ध कंपनियों के साथ अपने कामकाज में किसी भी तरह की गड़बड़ी अथवा लापरवाही बरतने पर चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए), कंपनी सचिवों (सीएस) और मूल्यांककों पर बाजार नियामक सेबी जुर्माना लगा सकता है। इसके साथ ही कंपनी से उनकी फीस को भी नियामक जब्त कर सकता है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि सेबी इस तरह की धोखाधड़ी पर नजर रखने के लिये अपने निगरानी तंत्र का विस्तार कर रहा है। प्रतिभूति बाजार में विश्वास बढ़ाने के लिये सेबी इस तरह के नये नियमन लाने पर गौर कर रहा है। पीएनबी, फोर्टिस जैसे हालिया मामलों में आडिटरों व मूल्यांककों की भूमिका पर सवाल उठा है। इससे पहले सत्यम व किंगफिशर के चर्चित मामले में भी ऐसा हो चुका है।
सेबी इस तरह के घपलों पर लगाम लगाने के लिए निगरानी प्रक्रिया को मजबूत बनाने पर विचार कर रहा है। इसके तहत चार्टर्ड एकाउंटेंटों, कंपनी सचिवों, लागत एकाउंटेंटो, मूल्यांककों व निगरानी एजेंसियों की जिम्मेदारी तय की जा सकती है कि वे प्रतिभूति नियमों का पालन करें तथा शेयरधारकों के हितों में काम करें। इस तरह की इकाइयां यदि अपने कामकाज में गड़बड़ी करती हैं और उसमें कमी रहती है तो सेबी उनकी गलत कार्यों से प्राप्त संपत्ति, फीस को डिफाल्ट की तिथि से उस पर 12 प्रतिशत सालाना ब्याज के साथ पूरी राशि को वापस ले सकती है।
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