भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को बैंकों से ऋण मिलने की स्थिति में सुधार हुआ है। उन्होंने भरोसा दिया कि केंद्रीय बैंक किसी भी बड़े एनबीएफसी को डूबने नहीं देगा। आवास वित्तपोषण क्षेत्र की कंपनी डीएचएफएल का नाम लिए बगैर दास ने कहा कि किसी गैर-बैंकिंग कंपनी का सबसे बेहतर आकलन नियामक कर सकता है।
उन्होंने इस तरह की इकाई को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में ले जाने को ‘व्यावहारिक’ कदम बताया। उन्होंने कहा कि आरबीआई शीर्ष 50 एनबीएफसी पर नियमित तौर पर नजर रखता है। इससे ‘कमजोर’ एनबीएफसी की पहचान करने में मदद मिलती है। दास ने स्पष्ट किया, ‘‘केंद्रीय बैंक किसी बड़ी एनबीएफसी को डूबने नहीं देगा।’’
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उन्होंने कहा कि एनबीएफसी को बैंकों से ऋण मिलने में बढ़त के लिए केंद्रीय बैंक कई कदम उठा रहा है और अब तक उठाए गए कदमों का इच्छित फल भी मिला है। हालांकि, उन्होंने इसका विस्तृत ब्यौरा नहीं दिया। यह बात गौर करने लायक है कि आईएलएफएस के डूबने के बाद से सितंबर 2018 से एनबीएफसी क्षेत्र दबाव में है।