शेयर बाजार (Share market) में इन दिनों कोहराम मचा हुआ है। दुनियाभर के शेयर बाजारों में पिछले कुछ दिनों से चौतरफा बिकवाली (Sell Off) का दौर चल रहा है। इसका असर भारतीय शेयर बाजार पर साफ नजर आ रहा है, जिसका नतीजा यह है कि बिकवाली के कारण बीते 8 दिनों में इन्वेस्टर्स (Investors) ने शेयर मार्केट में करीब 26 लाख करोड़ रुपए गंवा दिए।
बाज़ारों के हालातों को देखते हुए इन्वेस्टर्स की नींद उड़ी हुई है। कोविड काल के बावजूद पिछले साल शेयर बाजार में जबरदस्त उछाल देखा गया था, लेकिन इस साल बढ़ती महंगाई के बीच बीते कई महीनों से डाउन हुआ शेयर बाजार उठने का नाम नहीं ले रहा। आसमान छूती महंगाई के बीच केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं। रिसर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) ने भी हाल ही में ब्याज दरें बढ़ा दी हैं। वहीं कोरोना महामारी की नई लहर की आशंका भी इन्वेस्टर्स को पीछे खींच रही है।
सिर्फ एक दिन में 5 लाख करोड़ का नुकसान
कल यानी गुरुवार को बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) और एनएसई निफ्टी (NSE Nifty) दोनों 2-2 फीसदी से ज्यादा टूट गए थे। इस कारण इन्वेस्टर्स ने एक ही दिन में 5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा गंवा दिए थे। कल कारोबार में सेंसेक्स की 30 कंपनियों में से महज 2 विप्रो (Wipro) और एचसीएल टेक (HCL Tech) ही ग्रीन जोन में रह पाईं।
कारोबार के दौरान सेंसेक्स एक समय करीब 1,400 अंक तक गिर गया था. कारोबार समाप्त होने के बाद सेंसेक्स 1,158.08 अंक (2.14 फीसदी) के नुकसान के साथ 52,930.31 अंक पर बंद हुआ था। इसी तरह एनएसई निफ्टी 359.10 अंक (2.22 फीसदी) के नुकसान के साथ 15,808 अंक पर बंद हुआ था। बीते 1 महीने में सेंसेक्स 5,500 अंक टूट चुका है. निफ्टी भी बीते एक महीने में करीब 10 फीसदी गिरा है।
और गिर सकता है बाजार
दिग्गज निवेशक शरद शाह (Sharad Shah) शेयर बाजार में गिरावट के लिए यूक्रेन संकट, बढ़ती महंगाई और केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में की जा रही बढ़ोतरी को जिम्मेदार मान रहे हैं। इसके आलावा वह कंपनियों की ओवर वैल्यूएशन को भी बाज़ारों के इन हालातों का कारण मान रहे हैं।
शाह का कहना है कि बाजार में गिरावट अभी थमने वाली नहीं है। बाजार आगे और गोता लगा सकता है। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों पर मंदी की सबसे ज्यादा मार पड़ेगी। एक इंटरव्यू में शरद शाह ने कहा कि बाजार में बहुत से ऐसे कारण मौजूद हैं जो आगे और गिरावट की तरफ इशारा कर रहे हैं।
कंपनियों के फंडामेंटल की तुलना में शेयरों की कीमतों का बहुत अधिक होना, कमजोर रुपया, कंपनियों की कमजोर कमाई और अमेरिकी मार्केट में जारी भारी बिकवाली भारतीय बाजार पर आगे भी दबाव बनाए रखेगी।