नई दिल्ली: शेयर बाजारों में गुजरते वर्ष 2017 में छोटे शेयरों का दबदबा रहा और निवेशकों को स्माल कैप सूचकांक में निवेश पर आकर्षक 60 प्रतिशत लाभ मिला जब कि मुंबई शेयर बाजार की 30 शीर्ष कंपनियों वाले सेंसेक्स में वर्ष के दौरान करीब 28 प्रतिशत लाभ रहा। एक विश्लेषण के अनुसार बंबई शेयर बाजार का छोटी कंपनियों के शेयरों पर आधारित सूचकांक (मिडकैप इंडेक्स) 7,184.59 अंक या 59.64 प्रतिशत लाभ में रहा। वहीं मझोली कंपनियों के शेयरों का सूचकांक 5,791.06 अंक सर 48.13 प्रतिशत मजबूत हुआ। वहीं दूसरी तरफ 30 शेयरों वाला प्रमुख कंपनियों का सेंसेक्स 2017 में 7,430.37 अंक या 27.91 प्रतिशत लाभ में रहा।
कोटक सिक्योरिटीज के मिडकैप मामलों के प्रमुख आर ओजा ने कहा, सेंसेक्स के मुकाबले लघु एवं मझोली कंपनियों के सूचकांक का प्रदर्शन बेहतर रहा। इसका मुख्य कारण घरेलू पूंजी का म्यूचुअल फंड में प्रवाह है। मिडकैप सूचकांक 29 दिसंबर को अबतक सर्वकालिक रूंचाई 17,851.03 पर पहुंच गया जबकि स्मालकैप सूचकांक उसी दिन 19,262.44 अंक तक चला गया। तीस शेयरों वाला सूचकांक इस वर्ष 27 दिसंबर को 34,137.97 अंक पर पहुंच गया था। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य बाजार रणनीतिकार आनंद जेम्स ने कहा, वर्ष 2013 से पहले पांच साल तक वैश्विक अर्थव्यवस्था नरमी से निपटने में लगा था।
उस साल मिडकैप सूचकांक में 6 प्रतिशत की गिरावट आयी। इस अवधि के दौरान बड़े कंपनियों तथा बेहतर प्रबंधन वाली कंपनियों ने चीजों को था। यही कारण है कि निफ्टी जैसे मानक सूचकांकों ने छोटी कंपनियों को पीछे छोड़ दिया था। उन्होंने कहा, वर्ष 2014 के बाद से केंद्र में स्थिर सरकार, व्यापार आशावाद में उल्लेखनीय सुधार है।
इससे बुनियादी ढांचा परियोजनाओं तथा संबद्ध सुधारों पर बल मिला इसका अर्थव्यवस्था पर गुणक प्रभाव पड़ा। न केवल जमीन-जायदाद, बुनियादी ढांचा, आवास, निर्माण से जुड़े क्षेत्र में तेजी रही बल्कि बेहतर दिनों की उम्मीद भी बढ़ी। जेम्स ने कहा, इसीलिए इन क्षेत्रों खासकर छोटी एवं मझोली कंपनियों के शेयरों को खरीदार मिले। अबतक ये भविष्य की बेहतर संभावना के अभाव में इन पर गौर नहीं किया जाता था।
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