नई दिल्ली : इस्पात मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने इस्पात कंपनियों से कहा है कि वह ऋण अदायगी के मामले में अनुशासित रुख अपनाएं क्योंकि सरकार ने ऋण ना चुकाने वाली इकाइयों के प्रति जो नीतिगत दृष्टिकोण अपनाया है, उसमें दिवाला कानून के तहत ऋणग्रस्त कंपनियों को अच्छे प्रबंध वाली इकाइयों द्वारा अधिगृहीत किए जाने का रास्ता खुला हुआ है। उन्होंने कहा कि दिवाला कानून की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है।
सिंह का यह बयान ऐसे समय आया है जब कुछ दिन पहले ही सरकार ने एक नया अध्यादेश जारी कर जानबूझकर ऋण ना चुकाने वाले प्रवर्तकों को दिवाला प्रक्रिया के तहत निस्तारित की जा रही उनकी संपत्तियों की बोली लगाने से रोक दिया गया है।एक आधिकारिक बयान में मंत्री ने कहा, इस्पात कंपनियों को अपने आप को प्रतिस्पर्धी बनाना होगा और अपने ऋण के प्रबंधन में अनुशासित रुख अख्तियार करना होगा। उन्होंने यह बात 30 नवंबर को बर्लिन में अतिरिक्त इस्पात क्षमता पर एक वैश्विक मंच को संबोधित करते हुए कही। भारत में इस्पात क्षेत्र के भविष्य के बारे में उन्होंने कहा कि इस्पात निवेशकों के लिए भारत एक महत्वपूर्ण स्थान बनने वाला है।
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