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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की कड़ी चेतावनी! 2023 में आर्थिक मंदी का डर, महंगाई बढ़ी तो खराब होंगे हालात

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF ) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा है कि वर्ष 2023 आर्थिक रूप से 2022 से भी बदतर हो सकता है। उन्होंने आशंका जताई कि महंगाई बढ़ने से स्थिति और खराब हो सकती है। हालांकि अपने बयान में उन्होंने भारत की विका

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF ) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा है कि वर्ष 2023 आर्थिक रूप से 2022 से भी बदतर हो सकता है। उन्होंने आशंका जताई कि महंगाई बढ़ने से स्थिति और खराब हो सकती है। हालांकि अपने बयान में उन्होंने भारत की विकास दर में वृद्धि को बेहतर बताया, लेकिन साथ ही चेतावनी दी कि वैश्विक मंदी पूरी दुनिया के विकासशील देशों को ताकतवर देशों तक अपनी चपेट में ले सकती है। 
जितना हमने सोचा था……. 
आईएमएफ प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने एक टीवी चैनल के साक्षात्कार में कहा कि “वैश्विक मुद्रास्फीति उम्मीद से भी बदतर हो सकती है”। इस सवाल पर कि क्या दुनिया अब मंदी की ओर बढ़ रही है, आईएमएफ प्रमुख ने कहा, “मैं आपको जो बता सकती हूं वह यह है कि जितना हमने सोचा था, उससे कहीं अधिक कोरोना महामारी, यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद के परिणाम हैं। मुद्रास्फीति के परिणाम।” सामने आ सकता है।”
उन्होंने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहा है और उम्मीद है कि आगे भी महंगाई पर काबू पाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। जॉर्जीवा ने कहा कि दुनिया के सभी केंद्रीय बैंक अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक की नीतियों का पालन करते हैं। आईएमएफ प्रमुख ने कहा कि यह कहना मुश्किल है कि 2023 इस साल की तुलना में आर्थिक दृष्टि से कितना चुनौतीपूर्ण होगा, लेकिन इसका अंदाजा जरूर लगाया जा सकता है कि आने वाला साल चुनौतीपूर्ण रहने वाला है।
बताया ये बड़ा कारण 
आईएमएफ प्रमुख के मुताबिक, कोरोना महामारी इस समय दुनिया के कई देशों में अपना दुष्परिणाम दिखा रही है। वैक्सीन के बावजूद चीन समेत यूरोप के कई देशों में कोरोना महामारी ने कारोबारियों से लेकर आम लोगों तक को प्रभावित किया है। इसके अलावा यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग का असर दुनिया पर पड़ा है। यूरोपीय देशों द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाने के बाद स्थिति और खराब हो गई है। महंगाई चरम पर है। जॉर्जीव का कहना है कि आने वाले वर्ष 2023 में इन सभी महत्वपूर्ण घटनाक्रमों का प्रभाव अधिक हो सकता है। हालांकि उन्होंने कहा कि यह कहना जल्दबाजी होगी कि वैश्विक मंदी आएगी या नहीं।

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