नई दिल्ली : चीनी का वैश्विक भंडार कम होने से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बीते तीन महीने में सफेद चीनी के दाम में 15 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि हुई है, जिसके बाद भारत के लिए चीनी निर्यात का द्वार खुल गया है और निर्यात के नए सौदे भी होने लगे हैं। भारत इस समय सफेद चीनी का निर्यात कर रहा है, लेकिन आने वाले दिनों में नए सीजन में गन्ने की पेराई शुरू होने पर कच्ची चीनी का भी निर्यात करेगा।
उद्योग संगठनों से मिली जानकारी के अनुसार, एक अक्टूबर से शुरू हुए नए शुगर सीजन में अब तक तकरीबन दो लाख टन सफेद चीनी के निर्यात के सौदे हो चुके हैं। ये सौदे करीब 320-330 डॉलर प्रति टन के भाव (एफओबी) पर हुए हैं। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सफेद चीनी का भाव बीते तीन महीने में करीब 45 डॉलर प्रति टन यानी 15.25 फीसदी बढ़ा है। इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज यानी आईसीई पर 16 जुलाई को लंदन शुगर का वायदा भाव 295 डॉलर प्रति टन था, जबकि बीते सत्र में शुक्रवार को 339.90 डॉलर प्रति टन पर बंद हुआ।
एक आकलन के तौर पर, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय मिलों को 340 डॉलर प्रति टन का भाव अगर मिला और भारत की करेंसी का मूल्य 71 रुपये प्रति डॉलर रहा तो एक टन चीनी निर्यात का मूल्य देसी करेंसी में 24,140 रुपये प्रति टन होगा और इसमें सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी 10,448 रुपये प्रति टन जोड़ने पर मिलों को एक टन चीनी निर्यात से 34,558 रुपये मिलेंगे, जो कि उनके लिए अनुकूल स्थिति हो सकती है, क्योंकि घरेलू बाजार में इस समय चीनी का एक्स-मिल रेट इससे कम ही है। सरकार ने चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य 31 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।
केंद्र सरकार चीनी निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए चालू शुगर सीजन 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) में कुल 60 चीनी के निर्यात पर 10,448 रुपये प्रति टन की दर से सब्सिडी देने की घोषणा की है। इंडियन शुगर एक्जिम कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईजेक) के प्रबंध निदेशक व सीईओ अधीर झा ने बातचीत में कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चीनी का भाव अब उस स्तर पर आ गया है जब भारत की चीनी मिलों को निर्यात करने में कोई घाटा नहीं होगा। उन्होंने बताया नये सीजन का आरंभ होने के साथ निर्यात के सौदे भी होने लगे हैं।