नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि मात्स्यिकी (मछली पालन) भारत में कृषि तथा संबंद्ध गतिविधियों का उभरता हुआ सेक्टर है। यह पौष्टिक आहार तथा लाभकारी रोजगार देता है तथा लगभग डेढ़ करोड़ लोगों की आजीविका में उनकी मदद करता है। राधा मोहन सिंह ने यह बात बुधवार को भारत के राज्य स्तरीय छोटे और पारंपरिक मत्स्य श्रमिक संघों के एक राष्ट्रीय संघ ‘राष्ट्रीय मछली कामगार फोरम’ (एन.एफ.एफ) द्वारा मछुआरा समुदाय के विश्व मंच (डब्ल्यूएफएफपी) की 15 से 21 नवंबर 2017 के दौरान नई दिल्ली में आयोजित 7वीं महासभा के अवसर पर कही।
कृषि मंत्री ने कहा कि हमारा देश विश्व के अग्रणी मछली उत्पादक देश हैं और वैश्विक रूप से इसमें तथा जलकृषि सेक्टर में दूसरे स्थान पर हैं। उन्होंने कहा कि पहली बार, राष्ट्रीय मछली कामगार फोरम जैसा कोई मछुआरा परिसंघ ऐसा कोई राष्ट्रीय स्तर का आयोजन करने के लिए सामने आया है, जिसमें देश में मात्स्यिकी सेक्टर के विकास में लगे देश भर के सभी पणधारियों को आमंत्रित किया गया है। हमारा समग्र मछली उत्पादन लगभग 114 लाख टन है और वार्षिक विकास दर 6 प्रतिशत से अधिक है, जो आने वाले वर्षों में अपार अवसरों का प्रतीक है। राधा मोहन सिंह ने कहा कि मात्स्यिकी सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए कृषि मंत्रालय ने सभी केंद्रीय योजना स्कीमों को वर्ष 2015 में ‘नीली क्रांति: मात्स्यिकी का एकीकृत विकास और प्रबंधन’ नामक एकछत्र योजना के अंतर्गत पुनर्गठित कर दिया है।
नीली क्रांति के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए दिसम्बर 2015 में 3000 करोड़ रुपये की एक योजना घोषित की गई है, जिसके तहत अगले 3 वर्षों में, 2019-20 तक मछली उत्पादन में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि कर उसे 150 लाख टन करने का लक्ष्य रखा गया है। पिछले 3 वित्तीय वर्षों 2014-15 से 2016-17 के दौरान राज्यों-संघ राज्य क्षेत्रों को नीली क्रांति योजना के कार्यान्वयन के लिए 1214.00 करोड रुपये की राशि जारी की गई है। वर्ष 2011-14 की तुलना में 2014-17 के कुल तीन वर्षों की अवधि में कुल 20.1 प्रतिशत मछली उत्पादन में वृद्धि हुई जो कि अभूतपूर्व है।