नई दिल्ली: मोदी सरकार के ग्रामीण क्षेत्रों के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास पर अधिक जोर देने और छोटे शहरों के लोगों में पूंजी बाजार में निवेश के प्रति जागरूकता लाने से ‘इंडिया’ की तुलना में ‘भारत’ न सिर्फ अधिक समृद्ध हो रहा है बल्कि मोबाइल फोन, इंटरनेट के उपयोग से लेकर ऑटोमोबाइल उद्योग की मांग बढ़कर अर्थव्यवस्था को गति देने का काम भी कर रहा है। कार्वी वेल्थ की ‘इंडिया वेल्थ रिपोर्ट-2017’ के अनुसार बड़े शहरों की तुलना में छोटे शहर और ग्रामीण क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था को गति दे रहे हैं। ग्रामीण भारत ने देश की अर्थव्यवस्था के इंजन के रूप में काम करना शुरू कर दिया है। मोबाइल फोन, इंटरनेट का उपयोग, ऑटोमोबाइल और रोजमर्रा की उपभोक्ता वस्तुओं की मांग के मामले में ग्रामीण भारत शहरी क्षेत्रों को पछाड़ रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सिर्फ उपभोग में ही नहीं बल्कि बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं की मांग में भी ग्रामीण भारत शहरी इंडिया को पीछे छोड़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों से बैंक जमा, म्युचुअल फंड निवेश और बीमा प्रीमियम संग्रह में भी तेजी आ रही है। म्युचुअल फंड में व्यक्तिगत निवेश में 27 फीसदी हिस्सेदारी छोटे शहरों के निवेशकों की है। रांची, मदुरै, सिलीगुड़, जबलपुर, भावनगर, गोरखपुर, वास्को, बिलासपुर, शिलाँग और खड़गपुर जैसे शहरों में म्युचुअल फंड की मांग में जबरदस्त तेजी आयी है। इसके साथ ही ‘बी-15’ श्रेणी के शहरों जैसे लुधियाना, नागपुर, इंदौर, पटना, भुवनेश्वर, कोचीन, राजकोट, गुवाहाटी, कोयंबटूर और नासिक के लोगों में पूंजी बाजार सहित विभिन्न वैकल्पिक क्षेत्रों में निवेश करने की लालसा बढ़ है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्युचुअल फंड कंपनियों को शहरी भारत तक ही खुद को सीमित न रखते हुये इससे बाहर निकलकर दूसरे इलाकों में भी पहुंच बढाने के लिए प्रेरित किया है। इसका परिणाम है कि अब छोटे शहरों के निवेशक न सिर्फ म्युचुअल फंड बल्कि पूंजी बाजार के अन्य वर्ग में भी निवेश करने लगे हैं। ‘म्यूचुअल फंड सही है’ अभियान ने भी पूरे देश में जागरूकता फैलाने में मदद की है। रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2016 से सितंबर 2017 के बीच ‘बी-15’ शहरों का संपदा प्रबंधन (एयूएम) 38 प्रतिशत वृद्धि के साथ 2.74 लाख करोड़ रुपये से बढकर 3.79 लाख करोड रुपये तक पहुंच गया। इसी अवधि में 15 बड़ शहरों के एयूएम में 28 प्रतिशत की बढ़ौतरी रही।
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