संकट में चल रही वोडाफोन आइडिया ने दूरसंचार विभाग को पत्र लिखकर समायोजित सकल आय (एजीआर) का पूरा सांविधिक बकाया चुकाने में असमर्थता जतायी है। कंपनी का कहना है कि सरकार के तत्काल मदद मुहैया कराए बिना उसके लिये यह बकाया चुकाना संभव नहीं है।
संचार मंत्रालय को लिखे पत्र में कंपनी ने कहा कि संकट से गुजर रहे दूरसंचार उद्योग की मदद के लिए सरकार को आधार कीमत की व्यवस्था लागू करनी चाहिए और शुल्क में कटौती भी करनी चाहिए। वहीं कंपनी ने अपने सांवधिक बकाया को किश्तों में चुकाने की अनुमति भी मांगी है।
कंपनी पर 53,000 करोड़ रुपये से अधिक का सांविधिक बकाया है। जबकि वह अभी तक इसका मुश्किल से सात प्रतिशत ही अदा कर पायी है। कंपनी ने कहा कि उसकी माली हालत ठीक नहीं है। वह अपने उत्तरदायित्व को तभी पूरा कर सकती है जब सरकार सांविधिक बकाया पर ब्याज, जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज को किश्तों में चुकाने का विकल्प प्रदान करे। साथ ही माल एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत इकट्ठा हुए इनपुट टैक्स क्रेडिट के बकाये का भुगतान कर दे।
कंपनी ने कहा कि सरकार के जीएसटी बकाये का समायोजन करने से उसे सांविधिक बकाया चुकाने में मदद मिलेगी। कंपनी को स्वयं के आकलन के आधार पर सरकार से जीएसटी क्रेडिट बकाये के रूप में करीब 8,000 करोड़ रुपये चाहिए। पिछले कुछ सालों से घाटे में चल रही कंपनी ने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र पर वित्तीय दबाव जगजाहिर है।
कंपनी ने मौजूदा समय में अपने 10,000 कर्मचारियों और 30 करोड़ ग्राहकों का हवाला देखकर सरकार से समर्थन की मजबूत अपील की है। एजीआर भुगतान की शर्तें आसान करे सरकार, लाइसेंस शुल्क घटाए दूरसंचार उद्योग के संगठन सेल्युलर आपरेटर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सीओएआई) ने सरकार से दूरसंचार कंपनियों पर सांविधिक बकाये के भुगतान की शर्तों को आसान करने को कहा है।
सीओएआई ने कहा कि संकट में फंसे क्षेत्र को उबारने के लिए जरूरी है कि सरकार समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) की देनदारियों को चुकाने को दूरसंचार कंपनियों को निचली दर पर कर्ज उपलब्ध कराए। इसके अलावा न्यूनतम कीमतों का क्रियान्वयन भी तेजी से किया जाए।
दूरसंचार उद्योग इस समय गहरे संकट में फंसा है। एसोसिएशन ने इस बात पर चिंता जताई है कि बैंक क्षेत्र को लेकर जोखिम उठाने को तैयार नहीं हैं। सीओएआई ने कहा कि बैंकों को इस बारे में स्पष्ट संदेश दिया जाना चाहिए कि सरकार क्षेत्र के साथ खड़ी है।