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थोक महंगाई दर अगस्त में बढ़कर 0.16 प्रतिशत पर पहुंची, खाने-पीने की चीजों की कीमतों में इज़ाफ़ा

सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई दर 0.16 फीसदी दर्ज की गई है जो कि इससे पूर्व महीने में शून्य से नीचे थी।

खाद्य पदार्थो और ईंधन और विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादों की कीमतें ऊंची होने के कारण बीते महीने अगस्त में थोक महंगाई दर बढ़कर 0.16 फीसदी हो गई। सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई दर 0.16 फीसदी दर्ज की गई है जो कि इससे पूर्व महीने में शून्य से नीचे थी। थोक महंगाई दर जुलाई में ऋणात्मक (माइनस) 0.58 फीसदी दर्ज की गई थी। 
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के मुताबिक, थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर अगस्त महीने में 0.16 फीसदी रही जबकि पिछले साल इसी महीने में 1.17 फीसदी दर्ज की गई थी। बरसात के चलते अगस्त में हरी शाक-सब्जियों के साथ आलू के दाम आसमान चढ़ गए। डब्ल्यूपीआई खाद्य सूचकांक आधारित खाद्य पदार्थो की सालाना थोक महंगाई दर अगस्त में 4.07 फीसदी दर्ज की गई जबकि एक महीने पहले जुलाई में यह 4.32 फीसदी दर्ज की गई थी। 
अगस्त में खाद्य पदार्थो और सब्जियों के साथ-साथ पेय पदार्थों, चमड़े से बने उत्पादों, दवाइयों, औषधीय रसायन और वनस्पति उत्पादों, धातु, बिजली के उपकरणों जैसे उत्पादों की कीमतों में वृद्धि दर्ज की गई। बीते महीने खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 3.84 फीसदी दर्ज की गई जबकि आलू की कीमतों में 82.93 फीसदी का इजाफा हुआ। वहीं, ईंधन और बिजली की महंगाई दर भी 9.68 फीसदी दर्ज की गई जो कि पिछले महीने 9.84 फीसदी थी। विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादों की महंगाई दर अगस्त में 1.27 फीसदी दर्ज की गई। 
मंत्रालय ने कहा कि अगस्त 2020 की डब्ल्यूपीआई का संकलन 76 फीसदी के भारांक पर किया गया है जबकि जून का अंतिम आंकड़ा 88 फीसदी के भारांक पर आधारित था। डब्ल्यूपीआई में प्राथमिक वस्तुओं का भार 22.62 फीसदी होता है जिनकी महंगाई जुलाई महीने के 0.63 फीसदी से बढ़कर 1.60 फीसदी हो गई।  
वहीं, घरेलू रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 11.8 प्रतिशत की भारी गिरावट आएगी। इंडिया रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि के अपने अनुमान को संशोधित कर -11.8 प्रतिशत कर दिया है। पहले उसने भारतीय अर्थव्यवस्था में 5.3 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया था। 
हालांकि, रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि अगले वित्त वर्ष 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था 9.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करेगी। हालांकि, इसकी मुख्य वजह पिछले वित्त वर्ष का कमजोर आधार प्रभाव होगा। रेटिंग एजेंसी ने रिपोर्ट में कहा, ‘‘इंडिया रेटिंग्स का जीडीपी में 11.8 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान देश के इतिहास में अर्थव्यवस्था का सबसे कमजोर आंकड़ा होगा। देश में जीडीपी के आंकड़े 1950-51 से उपलब्ध हैं।’’ 
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह छठा मौका होगा जब देश की अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी। इससे पहले वित्त वर्ष 1957-58, 1965-66, 1966-67, 1972-73 और 1979-80 में अर्थव्यवस्था में गिरावट आई थी। इससे पहले अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ी गिरावट वित्त वर्ष 1979-80 में दर्ज हुई थी। उस समय अर्थव्यवस्था 5.2 प्रतिशत नीचे आई थी। 

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