मुंबई : रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने उनके इतिहास का छात्र होने को लेकर पूछे गये एक प्रश्न के उत्तर में रविवार को कहा कि नीतिनिर्माण में कई तरह की जटिलतायें सामने आतीं हैं जिनमें अकादमिक कम और अनुभव ज्यादा काम आता है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास इतिहास के छात्र रहे हैं। इसलिये कई बार लोग रिजर्व बैंक गवर्नर के तौर पर उनकी क्षमता को लेकर सवाल उठाते रहे हैं।
दास ने ऐसे ही एक सवाल का जवाब देते हुये रविवार को कहा कि अध्ययन की पृष्ठभूमि से महत्वपूर्ण व्यक्ति का अनुभव होता है। दास ने यहां एक समाचार चैनल के कार्यक्रम में एक दर्शक द्वारा पूछे गये सवाल पर यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि नीति निर्माण की प्रक्रिया में कई जटिल वास्तविकताएं शामिल हैं। ये वास्तविकताएं अकादमिक करियर से अधिक अनुभव से ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जब नीति निर्माण की बात आती है तब यह उतना प्रासंगिक नहीं रह जाता कि आपने 35-40 साल पहले किस विषय विशेष की पढ़ाई की।’’
दास ने कहा, ‘‘मेरे हिसाब से जो चीज अधिक मायने रखती है, वह है आपकी सजगता, अर्थव्यवस्था में जो कुछ चल रहा है उस पर आपकी पकड़ और जानकारी तथा पूरे पेशेवर करियर में आपका अनुभव कितना रहा है।’’ सरकार के साथ मतभेद के बाद ऊर्जित पटेल ने पिछले साल दिसंबर में अचानक रिजर्व बैंक के गवर्नर पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद दास को गवर्नर बनाया गया।
उर्जित पटेल से पहले प्रख्यात अर्थशास्त्री रघुराम राजन रिजर्व बैंक के गवर्नर थे। पटेल और राजन दोनों का अर्थशास्त्र में पढ़ाई का उत्कृष्ट रिकार्ड रहा है। मौद्रिक अर्थशास्त्र को लेकर पटेल के कई शोधपत्र दुनिया भर के विश्वविद्यालयों से प्रकाशित हो चुके हैं।