नई दिल्ली : संचार मंत्री मनोज सिन्हा ने देश की सभी ग्राम पंचायतों को हाई स्पीड ब्रॉडबैंड से जोड़ने के लिए शुरू की गयी भारतनेट परियोजना को संचार क्रांति का एक अनूठा इंफ्रास्ट्रक्चर बताते हुये कहा कि पहले चरण के तहत दिसंबर 2017 में एक लाख से अधिक ग्राम पंचायतें डिजिटल सेवा प्रदान करने की स्थिति में आ गयी हैं और शेष डेढ़ लाख ग्राम पंचायतें भी मार्च 2019 तक ब्रॉडबैंड से जुड़ जायेंगी। श्री सिन्हा ने कहा कि भारतनेट का प्रथम चरण पूरा कर लिया गया है जिसमें एक लाख से ज्यादा ग्राम पंचायतें 28 दिसंबर 2017 को ही सेवा प्रदान करने की स्थिति में आ गयी हैं।
उन्होंने कहा कि मार्च 2019 तक दूसरे चरण में डेढ़ लाख ग्राम पंचायतों का काम पूरा हो जाएगा। इस योजना से ग्रमीण इलाकों के लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव आयेगा। भारत नेट प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया को पूरा करने में बड़ी भूमिका निभा रहा है। इस परियोजना से 20 करोड़ देशवासियों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि भारतनेट परियोजना से ग्रामीण परिवेश में रहने वाले लोग जिन्हें अब तक डिजिटल सेवाओं की सुविधाएं नहीं प्राप्त हैं, उनको आधुनिक सुविधाएं मिल सकेंगी और आने वाले दिनों में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से अनेक रोजगार भी सृजित होंगे। भारतनेट परियोजना के प्रथम चरण को पूरा करने में योगदान करने वालों के प्रति श्री सिन्हा ने कृतज्ञता भी जतायी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केवल राजनीति की शब्दावली को ही नहीं बदला है, बल्कि देश की कार्य संस्कृति भी बदली है। इसके लिए जो प्रयत्न हो सकते हैं उनके नेतृत्व में हुये हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने जब से सरकार संभाली, तब से भारतनेट परियोजना को गति मिली और अब इसका प्रथम चरण पूरा हो गया। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के तहत बनाये गये इंफ्रास्ट्रक्चर का बगैर भेदभाव के कोई भी सेवाप्रदाता उपयोग कर सकता है। पहले चरण में 31 मई 2014 तक 4,918 ग्राम पंचायतों को जोड़ने का काम शुरू किया गया था और 358 किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर बिछाये गये थे जिससे 59 ग्राम पंचायतों में ही सेवायें दी जा सकती थी। 30 जून 2016 तक 84,834 ग्राम पंचायतों को जोड़ने का काम शुरू हो गया था और 1,24,817 किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर बिछाये गये थे। 31 दिसंबर 2017 तक 2,54,895 किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर बिछाये गये जिससे 1,09,926 ग्राम पंचायत ब्रॉडबैंड सेवायें देने की स्थिति में आ गये। इस मौके पर दूरसंचार सचिव अरुणा सुंदरराजन ने कहा कि परियोजना के तहत प्रति दिन 800 किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर बिछाये गये हैं जो अपने-आप में विश्व कीर्तिमान है।
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