सोच में मत पढिए अगर आप भी बनना चाहते है लखपति तो आप भी बन जाएंगे सिर्फ 25 पैसे में अमीर इस 25 पैसे का यह गैंडे वाले सिक्के की कीमत तीन लाख से करोड़ो रुपये तक हो सकती है। अगर आपके पास भी यह सिक्के हैं तो आप भी बन सकते है करोडपति और आप इन सिक्को से ऑनलाइन शॉप पर बेच सकते हैं।
चालिए जानते है 25 पैसे का गैंडे वाले सिक्का का इतिहास
आपको बता दें कि पहले पाई ,अधेला और दुअन्नी , एक पैसा , पांच पैसा , दस पैसा औैर 20 पैसा के बाद अब चवन्नी भी आज से इतिहास में समा गई । चवन्नी केवल हमारे इतिहास का गवाह नहीं थी बल्कि यह हमारे जीवन जीने का भी सहरा होती थी। चवन्नी न कि धातु का एक सिक्का मात्र नहीं थी लेकिन यह हमारे साथ इतना चली की इसकी जीवन के हर मोड पर इसने हमारा साथ दिया है । और न जाने वक्त के ऐसे कितने उतार चढ़ाव इसी चवन्नी के साथ देखने को मिलते रहें हैं।
शायद आपको पता मालूम भी नहीं होगा कि सन् 1919 ,1920 एंव 1921 में यह चवन्नी जार्ज पंचम के समय की खास तैयार की गई थी। इसका स्वरूप को पारंपरिक गोल न रखते हुए अष्अ भुजाकार रखा गया था । यह चवन्नी निकल धातु से तैयार की गई थी लेकिन समस्या यह रही की इसका गोल आकार लोगों को कुछ भा नहीं पाया। यह पहली ऐसी चवन्नी थी जिसका आकार गोल नहीं था यह भी इतिहासकारो का ही कहना था।
इतिहासकार कहते हैं कि मशीन से बनी चवन्नी पहली बार 1835 में चलन में आर्ई उसे ईस्ट इंडिया कंपनी के विलियम चतुर्थ के नाम पर जारी किया गया था। तब यह चांदी की हुआ करती थी । जो पुराने सिक्को को जमा करने का शोक रखते थे 67 वर्षीय श्रीभगवान ने बताया कि 1940 तक आयी चवन्नियां पूरी तरह चांदी की तरह हुआ करती थी लेकिन इसके बाद से ही चवन्नियों में मिलावट शुरू होने लग गई और 1942 से 1945 के बीच आधी चांदी की चवन्नी बाजार में ला दी गई । लेकिन उसके बाद 1946 से निकल की चवन्नी चलन में आना शुरू हो गई । निकल की चवन्नियों पर एक तरफ जार्ज षष्टïम औैर दूसरी ओर इंडियन टाइगर का चित्र बना हुआ था।