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परियोजनाओं में देरी से बढ़ी लागत

परियोजनाओं में देरी और अन्य कारणों से लागत में तीन लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है। यह सभी परियोजनाएं 150 करोड़ रुपये या उससे ऊपर की है।

नई दिल्ली : बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 348 परियोजनाओं में देरी और अन्य कारणों से लागत में तीन लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है। यह सभी परियोजनाएं 150 करोड़ रुपये या उससे ऊपर की है। एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 रुपये और उससे अधिक की परियोजनाओं की निगरानी करती है। मंत्रालय की मई 2018 की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल 1,351 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की कुल वास्तविक लागत 15,72,066.02 करोड़ रुपये थी। अब इन परियोजनाओं की लागत 18,72,201.51 करोड़ रुपये बैठने की उम्मीद है।

इस तरह परियोजनाओं की लागत में 3,00,135.49 करोड़ रुपये या 19.09 प्रतिशत की वृद्धि हुई। कुल 1,351 परियोजनाओं में से 348 परियोजनाएं की लागत बढ़ी है जबकि 263 परियोजनाओं के क्रियान्वयन के समय में बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार इन परियोजनाओं पर मई 2018 तक 7,47,302.42 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जो इन परियोजनाओं की अनुमानित लागत का 39.92 प्रतिशत है। इसमें कहा गया है कि यदि परियोजनाओं को पूरा करने की समयावधि को देखा जाए तो देरी वाली परियोजनाओं की संख्या घटकर 191 रह जाएगी। करीब 650 परियोजनाओं के चालू होने के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गयी है।

लंबित 263 परियोजनाओं में से 66 परियोजनाओं में एक से 12 महीने, 50 परियोजनाओं में 13-24 महीने, 71 परियोजनाओं में 25-60 महीने और 76 परियोजनाओं में 61 या उससे अधिक महीने की देरी हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि परियोजनाओं में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण मंजूरी, उपकरणों की आपूर्ति, कोष की कमी, नक्सलवादियों की घुसपैठ, कानूनी मामलों और कानून-व्यवस्था की वजह से देरी हुई।

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