मुंबई : व्यापारियों के संगठन कनफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कथित तौर पर ई-कॉमर्स नीति के मसौदे को खत्म करने को पीछे की ओर ले जाने वाला कदम करार दिया है। कैट ने इस संबंध में अपना विरोध दर्ज कराने के लिये वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु को पत्र लिखा है। कैट ने कहा कि देश का ई-कॉमर्स बाजार आकार में लगातार बढ़ रहा है।
इसके लिये संहिताबद्ध नीति और बाजार पर निगरानी और नियमन के लिये नियामकीय प्राधिकरण की जरूरत है। कैट ने उन रिपोर्टो पर आपत्ति जताई है जिसमें कहा गया कि सरकार ने ई-कॉमर्स नीति के मसौदे को छोड़ने का फैसला किया है। इसमें माल आधारित मॉडल में 49 प्रतिशत एफडीआई की मंजूरी और नये सुझावों पर निर्णय लेने के लिये सचिवों की समिति स्थापित करने का प्रस्ताव शामिल है।
ई-कॉमर्स पर सचिवों के समूह की बैठक 13 को
संगठन ने कहा कि ई-कॉमर्स नीति में पहले ही तीन साल से अधिक देर हो चुकी है और यदि इसे छोड़ दिया जाता है तो यह ई-कॉमर्स क्षेत्र में निष्पक्ष व्यापार गतिविधियों के लिये धक्का होगी। ई-कॉमर्स पोर्टलों को भारी छूट देने के अवसर मिलते रहेंगे। उन्होंने कहा कि यदि नीति को हटाया जाता है, तो इसका मतलब यह होगा कि सरकार बहुराष्ट्रीय और ऑनलाइन कंपनियों के दबाव में काम कर कर रही है।